For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तरही ग़ज़ल नम्बर 2

नोट :-"तरही मुशायरे में जितनी ग़ज़लें शामिल हुईं, इस ग़ज़ल के क़वाफ़ी उन सबसे अलग हैं"

मफ़ऊल फ़ाइलातु मुफ़ाईल फ़ाइलुन

लेकर गई है हमको जिहालत कहाँ कहाँ
मांगी है तेरे वास्ते मन्नत कहाँ कहाँ

ये आज तेरे पास जो दौलत के ढेर हैं
सच बोल तूने की है ख़ियानत कहाँ कहाँ

अब तक भरी हुई थी जो तेरे दिमाग़ में
फैलाई है वो तूने ग़िलाज़त कहाँ कहाँ

तूने वतन को बेचा है अपने मफ़ाद में
होती है देखें तेरी मज़म्मत कहाँ कहाँ

फ़हरिस्त इसकी अब तो बताना फ़ुज़ूल है
हमने उठाई है ये हज़ीमत कहाँ कहाँ

आती है शर्म तुझको बताते हुए "समर"
तेरी बनी है इश्क़ में दुर्गत कहाँ कहाँ

___

मन्नत :- मान,नियाज़,भेंट
ख़ियानत :- ग़बन, धोका,फ़रेब, दग़ा
ग़िलाज़त :- गन्दगी
मफ़ाद :- फ़ायदा
मज़म्मत :- निंदा
फ़हरिस्त :- सूची
फ़ुज़ूल :- बेकार
हज़ीमत :- हार,शिकस्त
दुर्गत :- ख़राबी


--समर कबीर
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 1002

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on August 7, 2017 at 2:53pm
जनाब रवि शुक्ला जी आदाब,ये सब आपका हुस्न-ए-ज़न है जनाब,ग़ज़ल में शिर्कत और दाद-ओ-तहसीन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on August 7, 2017 at 2:50pm
जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,सुख़न नवाज़ो के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ।
Comment by Samar kabeer on August 7, 2017 at 2:49pm
जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज'साहिब आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on August 7, 2017 at 2:47pm
जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ।
Comment by Samar kabeer on August 7, 2017 at 2:46pm
जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और दाद-ओ-तहसीन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on August 7, 2017 at 2:44pm
जनाब रोहित जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ।
Comment by Samar kabeer on August 7, 2017 at 2:43pm
जनाब डॉ.आशुतोष मिश्रा जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ।
Comment by Samar kabeer on August 7, 2017 at 2:41pm
जनाब निलेश'नूर'साहिब आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिये बहुत बहुत शुक्रिया ।
Comment by Ravi Shukla on August 6, 2017 at 12:52pm

आदरणीय समर साहब आदाब तरही ग़ज़ल की दूसरी पेशकश भी बहुत ही शानदार हुई है इसके लिए शेर दर शेर दिली मुबारकबाद कुबूल करें ।ऐसा लगता है हमारी सोच जहां खत्म होती है उसके आगे आप शुरू करते हैं इसीलिए नए-नए कवाफी के साथ एक और ग़ज़ल आपने हमारी प्रेरणा के लिए यहां पर रखी बहुत-बहुत शुक्रिया।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on August 4, 2017 at 4:43pm
मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब ,बहुत ही उम्दा ग़ज़ल हुई है ,दाद और मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। रोटी पर अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
23 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
32 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
34 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
23 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service