For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

छुट्टी की बड़ी समस्या है दीदी, पापा अस्पताल में नर्सो के सहारे हैं! भाई से फोनवार्ता होते ही सुमी तुरन्त अटैची तैयार कर बनारस से दिल्ली चल दी|

अस्पताल पहुँचते ही देखा कि पापा बेहोशी के हालत में बड़बड़ा रहें थे| उसने झट से उनका हाथ अपने हाथों में लेकर, अहसास दिला दिया कि कोई है, उनका अपना |
हाथ का स्पर्श पाकर जैसे उनके मृतप्राय शरीर में जान सी आ गयी हो |
वार्तालाप घर-परिवार से शुरू हो न जाने कब जीवन बिताने के मुद्दे पर आकर अटक गयी |
एक अनुभवी स्वर प्रश्न बन उभरा, तो दूसरा अनुभवी स्वर उत्तर बन बोल उठा -"पापा पहला पड़ाव आपके अनुभवी हाथ को पकड़ के बीत गया | दूसरा पति के ताकतवर हाथों को पकड़ बीता और तीसरा बेटों के मजबूत हाथों में आकर बीत गया |"
"चौथा ..., वह कैसे बीतेगा, कुछ सोचा ?? वही तो बीतना कठिन होता बिटिया |"
"चौथा आपकी तरह !"
"मेरी तरह !! ऐसे बीमार, निसहाय !"
"नहीं पापा, आपकी तरह अपनी बिटिया के शक्तिशाली हाथों को पकड़, मैं भी चौथा पड़ाव पार कर लूँगी |"
"मेरा शक्तिशाली हाथ तो मेरे पास है, पर तेरा किधर है?" मुस्करा कर बोले |

तभी "नानाजी'" अंशु का ऊँचा स्वर कानों में घंटी सा बज, पूरे कमरे में गूँज उठा| समवत दो और स्वर गूँजे ! आवाज़ पहचानकर, भावातिरेक में सुमी उठी तो लड़खड़ा गयी | दोनों बेटे आगे बढ़कर दोनों हाथ पकड़, उसे सम्भाल लिए|

सुमी के पिता बुदबुदाये- "संस्कारित जमीन में खरपतवार कैसे पनपती !!" सविता मिश्रा




"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 974

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by savitamishra on October 23, 2016 at 12:11am

आभार विजय  भैया  आपका | सादर नमस्ते

Comment by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on October 22, 2016 at 10:46pm

आदरणीया बहुत-बहुत बधाई !!!!

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 22, 2016 at 6:39pm
// "संस्कारित जमीन में खरपतवार कैसे पनपती !!"// बेहतरीन पते की बात युक्त पंचपंक्ति के साथ घर-परिवार के सुसंस्कृत यथार्थ को परिभाषित व चित्रित करती बढ़िया प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीया सविता मिश्रा जी। सादर विनम्र सुझाव है कि 1- पहले अनुच्छेद को हटाया जा सकता है और उसके मुख्य भाव नर्सों के भरोसे' को अगले अनुच्छेद में रखा जा सकता है। 2- लघुकथा में शब्द संख्या कम रखने के प्रयास में वाक्य विन्यास में व्याकरणिक शब्दों में कटौती को मैं उचित नहीं समझता ; जैसे कि कुछ वाक्यों में क्रिया शब्द के साथ 'कर' को इरादतन छोड़ना। ले कर, आ कर, बन कर अच्छा लगता है न कि केवल ले, आ, बन! यह मेरा व्यक्तिगत मत है बतौर पाठक! 3- कुछ टंकण त्रुटियां रह गईं हैं। 4- रचना के ऊपर शीर्षक में अनावश्यक चिन्हों का प्रयोग उचित नहीं लगता है।5- // दोनों बेटे आगे बढ़कर दोनों हाथ पकड़ सम्भाल लिए|// यह वाक्य मुझे इस तरह अच्छा लगता- // दोनों बेटों ने आगे बढ़कर उसके दोनों हाथ संभाल लिये।//
Comment by Dr. Vijai Shanker on October 22, 2016 at 11:12am
कुछ कहानियां कुछ नहीं कहतीं , बस आँखें नाम कर जाती हैं। बधाई , आदरणीय सुश्री सविता मिश्रा जी , सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
Tuesday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service