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"कायापलट" लघुकथा

मसरूर पठान का नाम दूर दूर तक इज़्ज़त से लिया जाता था,ख़ानदानी आदमी थे,हज़ारों एकण ज़मीन के मालिक थे,शहाना मिज़ाज रखते थे ,सरकारी अमले में भी उनके नाम का दब दबा था,बहुत अच्छे इंसान थे,लेकिन उनकी एक बुरी आदत भी थी,उन्हें शिकार का बहुत शौक़ था,और खाने में उन्हें रोज़ शिकार किये हुए जानवर का गोश्त सब से ज़्यादा पसंद था ,वो ख़ुद जानवरों का शिकार किया करते थे,नोकर चाकर उनके साथ होते थे,एक शिकारी गाइड जो ड्राईवर भी था और जो उन्हें शिकार की जगह ले जाता था !
एक रात की बात है,मसरूर पठान अपनी शिकारी जीप में शिकार पर निकले हुए थे,गाइड जीप ड्राइव कर रहा था ,काफ़ी देर तक भटकने के बाद भी कोई शिकार हाथ नहीं लगा था,फिर अचानक उन्हें एक हिरन दिखाई दे गया,जो उन्हें देख कर भागने लगा ,गाइड ने हिरन के पीछे जीप दौड़ा दी,रास्ते में नाला आ जाने की वजह से शिकार हाथ से निकल गया ।
कुछ देर बाद उन्हें फिर एक हिरनी दिखाई दे गई जो एक खेत में खड़ी थी,गाइड ने जीप रोक दी,सर्च लाइट की रौशनी में वो साफ़ दिखाई दे रही थी और ज़्यादा दूर भी नहीं थी ,हैरत की बात यह कि उन्हें देखकर वो भागी भी नहीं,मसरूर पठान ने बंदूक़ काँधे से लगाकर निशाना साधा और लबलबी दबाने ही वाले थे कि गाइड बोला ,हुज़ूर,'ज़मीन पर देखें' ,मसरूर पठान ने हिरनी से नज़र हटाकर ज़मीन की तरफ़ देखा तो वहाँ हिरनी का नौ ज़ाइदा बच्चा पड़ा था जो ज़मीन से उठने की कोशिश कर रहा था मसरूर पठान यह देख कर सक्ते में आ गए,और अचानक उनके दिमाग़ में ये सवाल उठा ,"अगर गोली चल जाती तो" ?
इस मंज़र का उनपर ऐसा असर हुआ कि उन्होंने तय कर लिया कि अब वो कभी शिकार नहीं खेलेंगे ।

"समर कबीर"
मौलिक/अप्रकाशित

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Comment by Samar kabeer on January 12, 2016 at 10:57pm
जनाब सतविंदर कुमार जी, आदाब,रचना आपको पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुवा,सराहना और उत्साह वर्धन प्रतिक्रिया के हृदयतल से आभारी हूँ,बहुत बहुत धन्यवाद ।
Comment by Samar kabeer on January 12, 2016 at 10:55pm
मोहतरमा प्रतिभा पांडे जी, आदाब,रचना आपको पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुवा,सराहना और उत्साह वर्धन प्रतिक्रिया के हृदयतल से आभारी हूँ,बहुत बहुत धन्यवाद ।
Comment by Samar kabeer on January 12, 2016 at 10:54pm
मोहतरमा ममता जी, आदाब,रचना आपको पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुवा,सराहना और उत्साह वर्धन प्रतिक्रिया के हृदयतल से आभारी हूँ,बहुत बहुत धन्यवाद ।
Comment by Samar kabeer on January 12, 2016 at 10:51pm
मोहतरमा राहिला जी, आदाब,रचना आपको पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुवा,सराहना और उत्साह वर्धन प्रतिक्रिया के हृदयतल से आभारी हूँ,बहुत बहुत धन्यवाद ।
Comment by Samar kabeer on January 12, 2016 at 10:50pm
जनाब तस्दीक़ अहमद जी, आदाब,रचना आपको पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुवा,सराहना और उत्साह वर्धन प्रतिक्रिया के हृदयतल से आभारी हूँ,बहुत बहुत धन्यवाद ।
Comment by Samar kabeer on January 12, 2016 at 10:49pm
जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी,आदाब,रचना आपको पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुवा,सराहना और उत्साह वर्धन प्रतिक्रिया के हृदयतल से आभारी हूँ,बहुत बहुत धन्यवाद,आप ऐसे ही हौसला बढ़ाते रहें,मैं ऐसे ही लिखता रहूँगा ।
Comment by Samar kabeer on January 12, 2016 at 10:47pm
जनाब प्रदीप कुमार जी, आदाब,रचना आपको पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुवा,सराहना और उत्साह वर्धन प्रतिक्रिया के हृदयतल से आभारी हूँ,बहुत बहुत धन्यवाद ।
Comment by Samar kabeer on January 12, 2016 at 10:47pm
जनाब तेजवीर सिंह जी, आदाब,रचना आपको पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुवा,सराहना और उत्साह वर्धन प्रतिक्रिया के हृदयतल से आभारी हूँ,बहुत बहुत धन्यवाद ।
Comment by Samar kabeer on January 12, 2016 at 10:45pm
आली जनाब डॉ विजय शंकर जी, आदाब,रचना आपको पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुवा,सराहना और उत्साह वर्धन प्रतिक्रिया के हृदयतल से आभारी हूँ,बहुत बहुत धन्यवाद ।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on January 12, 2016 at 10:06pm
बहुत ख़ूब!बेहतरीन लघुकथा हुई है।बधाई जनाब समर कबीर साहब।

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