For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आठवां फेरा - कथा

"सातवां फेरा सम्पन्न हुआ, माता पिता वर-वधू को को आशीर्वाद देने के लिये आगे आये।" पंडितजी की आवाज पर बधाई गान के साथ साथ लोग भी बधाई के लिये अग्रसर होने लगे।
"नही पंडितजी। अभी एक फेरा बाकी है, आठवां फेरा।" प्रधानजी की आवाज ने सब के चेहरे प्रश्नवाचक बना दिये लेकिन प्रश्न करने की चेष्टा कोई नही कर पाया कयोंकि कस्बे के सम्मानित प्रधानजी का अनादर करने की तो कोई सोच भी नही सकता था। कुछ देर के मौन के बाद आखिर पड़ितजी ने ही प्रश्न किया। "ये क्या कह रहे है आप? सभी जानते है कि हमारे शास्त्ररो मे भी सात फेरो का ही प्रावधान है।"
"जी पंडितजी। मैं भी ये भली भांति जानता हूँ लेकिन क्षमा चाहूँगा।" प्रधान जी ने विश्वासी आवाज में अपनी बात कहनी शुरू की। "शास्त्ररो ने मानव को नही गढा है बल्कि शास्त्र ही मानव द्वारा रचे गये है और समय समय पर इन्हे कुछ बदला भी जा सकता है। सही कहा ना मैंने बेटा।" अपनी बात पूरी करते करते प्रधान जी अपने बेटे यानि 'वर' की ओर देखने लगे।
"जी पिताजी!" क्षण भर के लिये बेटे की नजरें पिता पर टिकी और फिर सभी को एक नज़र देखते हुये कहने लगा। "आज हमारे समाज में भ्रूण हत्या एक गम्भीर समस्या बनती जा रही है विशेषतः कन्या को तो अक्सर आने से पहले ही जीवन-मुक्त कर दिया जाता है और इस घोर परिस्थिति में यदि कोई परिवर्तन लाने के लिये पहल कर सकता है तो वह है युवा वर्ग यानि "हम"! और आज मेरे आदरणीय पिताजी इस विवाह समारोह में मुझसे यही पहल करवाना चाहते है।"
पंडाल में उपस्थित सभी लोगो के चेहरे पर असमंजस की स्थिति देख प्रधान जी ने बात को स्पष्ट किया।
"यहाँ सभी उपस्थित परिचितो और अथितिगणो! देखिये, मैं चाहता हूँ कि मेरा बेटा और उसकी होने वाली पत्नि, आज सात फेरो के सातो वचनो के साथ एक और वचन, अपने आंगन में भ्रूण हत्या के घोर अपराध को न करने का वचन ले। बस यही है इनका आठवां फेरा।"
"लेकिन महोदय अतीत में ऐसा कभी नही हुआ।"
"देवताओ के विवाह, यहाँ तक कि प्रभु राम का विवाह भी सात फेरो से ही सम्पन्न हुआ।" कुछ असहमति के स्वर मंडप में उभरे।
"लेकिन चाचा उस युग में 'देवी' को आने से पहले ही जीवन मुक्त भी नही किया जाता था" भरे पडांल में दूल्हन की आत्मविश्वासी आवाज ने लोगो को एक पल के लिये कुछ न कह पाने की स्थिति मे ला दिया।
"लेकिन प्रधान जी एक आप के ऐसा करने से तो समाज नही बदल रहा ना।" एक शंका भरी आवाज फिर उभर कर आयी।
"जानता हूँ सदियो की परम्परा एक दम से नही टूटेगी।" प्रधानजी मुस्कराकर बोले। "लेकिन आज मैं, कल तुम और परसो फिर कोई और। इस तरह एक मेरे आंगन से एक नई शुरूआत तो हो सकती है ना।"
"तो अब देर किस बात की है प्रधानजी। शुभ मूहर्त निकला जा रहा है आइये करते है नयी शुरूआत।" पडितजी ने सहमति की अलख जगायी और वर-वधु के आठवें फेरे के लिये आगे बढने के साथ ही मंडप में फिर से बधाई गान शुरू हो गया।
'विरेन्दर वीर मेहता' (मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 891

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 9, 2015 at 1:04am

एक नयी सोच व् सन्देश ली हुई ,बहुत बेहतर लघुकथा प्रस्तुति आदरणीय वीर जी. आपको हार्दिक बधाई

Comment by विनय कुमार on June 9, 2015 at 12:07am

क्या बात है , बहुत नेक ख्याल | ये आठवां फेरा तो अनिवार्य कर देना चाहिए | बहुत बहुत बधाई इस बेहतरीन रचना के लिए आदरणीय वीर मेहता जी.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"जी आ मैं आपसे सहमत हूँ लेकिन इस तरह से भी टिप्पणी नहीं करनी चाहिए बिना सोचे समझे आप कह रहें हैं…"
4 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"जी आ अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकारें इस्लाह भी ख़ूब हुई है"
4 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"जी आ अच्छी ग़ज़ल हुई गुणीजनों की इस्लाह भी ख़ूब हुई है बधाई स्वीकार करें"
4 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"ख़ूब ग़ज़ल हुई आ रिचा जी बधाई स्वीकार करें"
4 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"जी आ अच्छी ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार करें इस्लाह भी ख़ूब हुई"
4 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"ख़ूब कही अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आ"
5 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"अच्छी और अलग अंदाज़ की ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आ"
5 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"जी अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आ अमीर जी"
5 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"जी आ अच्छी ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई आ अमित जी की इस्लाह भी ख़ूब हुई"
5 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"बहुत बहुत शुक्रिया आ"
5 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"बहुत बहुत शुक्रिया आ"
5 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"बहुत बहुत शुक्रिया आ"
5 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service