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"यार सुरेश देखो! हमारा देश अब कितनी प्रगति कर रहा है।"
"मुझे तो अभी ऐसा कहीं कुछ नजर नहीं आ रहा है।"
"यार लगता है तुम टी वी नहीं देखते हो।"

मौलिक और अप्रकाशित

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Comment by gumnaam pithoragarhi on January 10, 2015 at 9:36pm
खूब वाह बहुत खूब

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Comment by मिथिलेश वामनकर on January 10, 2015 at 9:34pm
आदरणीय विनोद जी सफल लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई।
Comment by shikha kaushik on January 10, 2015 at 9:14pm

यदि मन की बात सुन लें तो और भी ज्यादा लगेगा कि देश तरक्की   कर रहा है !!! सार्थक प्रस्तुति विनोद जी ! . बधाई .

Comment by Hari Prakash Dubey on January 10, 2015 at 7:50pm

बहुत सही कटाक्ष किया आपने , हार्दिक बधाई आदरणीय  विनोद जी !

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