For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नन्हीं नन्हीं

ख़वाहिशें जन्मी है

जैसे पतझड़ के बाद

नन्हीं कलियाँ

नन्ही कोपले

 

बड़े आग़ाज़ का

छोटा सा ख़ाका

बड़ी उम्मीदों की

छोटी सी किरन

 

उगने दो इन्हें

पनपने दो

कल की धूप के लिए

इनके साये बनने दो

 

करो तैयारी

खूबसूरत शुरुआत कि

सजाओ बस्ती

अपने जहान कि

के फिर

मौसम ने करवट ली है

फिर क़िस्मत ने दवात दी है

फिर खुशियों ने रहमत की है

 

जगने दो ख्वाहिशें

पकने दो ख्वाहिशें

के नया कुछ होने को है

परिवर्तन होने को है

 

इंतज़ार ख़त्म होने को है ……..

(मौलिक और अप्रकाशित)

प्रियंका.....

Views: 611

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Priyanka singh on April 15, 2014 at 4:00pm

जितेन्द्र जी ....बहुत बहुत आभार आपका ....यूँही सराहते रहे ....आभार.... 

Comment by Priyanka singh on April 15, 2014 at 3:59pm

आदरणीय श्याम सर ...आपकी सराहना हेतु ...बहुत बहुत शुक्रिया ....


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 4, 2014 at 7:41pm

ख्वाहिशों के पनपने का स्वागत करती और सपने बुनती सुन्दर अभिव्यक्ति 

उगने दो इन्हें

पनपने दो

कल की धूप के लिए

इनके साये बनने दो.............बहुत खूबसूरत ख़याल 

इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक शुभकामनाएं 

कहीं कहीं टंकण त्रुटियाँ दिख रही हैं, उन्हें दुरुस्त कर लीजिये 

Comment by कल्पना रामानी on April 3, 2014 at 10:19pm

बहुत बढ़िया! मन में आशाओं का संचार करती हुई भावपूर्ण सुंदर कविता के लिए आपको हार्दिक बधाई प्रियंका जी/सादर  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 3, 2014 at 10:28am

हर ख्वाहिश शुरू में एक कोंपल की तरह होती है जो समय के साथ आकार लेती है, बहुत खूबसूरती से आपने अपनी बात कही बहुत बहुत बधाई आपको इस खूबसूरत रचना के लिये

Comment by vijay nikore on April 3, 2014 at 8:07am

//करो तैयारी

खूबसूरत शुरुआत कि

सजाओ बस्ती

अपने जहान कि

के फिर

मौसम ने करवट ली है//  

 

बहुत सुन्दर भाव पिरोए हैं। इस आशा संपन्न रचना के लिए साधुवाद, आदरणीया प्रियंका जी।

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 2, 2014 at 8:54pm

आदरणीया प्रियंका जी , मन मे आशा का संचार करती आपकी सुन्दर रचना के लिये आपको बधाइयाँ ॥

Comment by annapurna bajpai on April 2, 2014 at 3:27pm

भावपूर्ण रचना , बधाई आपको । 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 1, 2014 at 9:08pm

करो तैयारी

खूबसूरत शुरुआत कि

सजाओ बस्ती

अपने जहान कि

के फिर

मौसम ने करवट ली है

फिर क़िस्मत ने दवात दी है

फिर खुशियों ने रहमत की है

बहुत सुंदर सकारात्मक पंक्तियाँ, रचना की खूबसूरती को और अधिक बड़ा देती हुई. बधाई स्वीकारें आदरणीया प्रियंका जी

 

Comment by Shyam Narain Verma on April 1, 2014 at 4:17pm
इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service