For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्या तुम्हे भी...? (अतुकांत)

तुम बिन

तन्हा-तन्हा सी साँसें

पल-पल गुजरता रहा

वरष के जैसा

बेचैनी की धीमी-धीमी आग में

बसंत बीत ही गया

न जाने कैसे कटेगा..?

रंगों का महीना

तुम बिन तो है

बे-रंग सा फाल्गुन

दिन तो काटने ही हैं

इस तरह क्यों न थका लूँ तन को

कि शाम तक

चूर हो जाय !

ये तन्हा रातें

बिन करवट ही

बीत जायें ।

इस तन्हाई को मेरे भाग्य ने ही सौंपा है मुझे
क्या तुम्हें भी..?

      जितेन्द्र 'गीत'

 (मौलिक व् अप्रकाशित)

 

Views: 807

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 26, 2014 at 10:05pm

आपका हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी, स्नेहिल मार्गदर्शन बनाये रखियेगा

सादर !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 26, 2014 at 4:11pm

बढिया प्रयास हुआ है.

शब्दों को लेकर थोड़ा सचेत रहें.

शुभेच्छाएँ

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 12, 2014 at 11:04pm

आपका बहुत बहुत आभार आदरणीया मीना दीदी,स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 12, 2014 at 11:03pm

आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु आपका हार्दिक आभार आदरणीय शिज्जू जी,स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by Meena Pathak on March 10, 2014 at 10:46pm
Bahut sundar.. Hardik badhai

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 10, 2014 at 9:27am

भाई जितेन्द्र जी बहुत खूबसूरत रचना है बहुत बहुत बधाई आपको 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 8, 2014 at 8:05am

रचना पर आपकी प्रतिक्रिया मुझे बहुत ख़ुशी व् मनोबल प्रदान करती है आदरणीय विजय जी, आपका ह्रदय से आभार .अपना स्नेहिल आशीर्वाद बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 8, 2014 at 8:02am

रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय केवल जी, अपना स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 8, 2014 at 8:00am

आपको कविता के भाव रुचिकर लगे मेरा लेखनकर्म सार्थक हुआ आपका हार्दिक आभार आदरणीया अन्नपूर्णा दीदी, अपना स्नेहिल आशीर्वाद बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by vijay nikore on March 7, 2014 at 7:06am

बहुत ही सुन्दर भाव पिरोय हैं ...आपको बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
10 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
12 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी प्रदत्त विषय पर आपने बहुत सुंदर रचना प्रस्तुत की है। इस प्रस्तुति हेतु…"
17 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, अति सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"गीत ____ सर्वप्रथम सिरजन अनुक्रम में, संसृति ने पृथ्वी पुष्पित की। रचना अनुपम,  धन्य धरा…"
22 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ पांडेय जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"वाह !  आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त विषय पर आपने भावभीनी रचना प्रस्तुत की है.  हार्दिक बधाई…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ पर गीत जग में माँ से बढ़ कर प्यारा कोई नाम नही। उसकी सेवा जैसा जग में कोई काम नहीं। माँ की…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
Friday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service