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एक मासूम कली
भंवरे के स्पर्श से
खिल उठी
मुस्काई
हर्षाई
लिया पुष्प सा रूप
एक दिन
भंवरा उसका खो गया
पुष्प का हाल बुरा हो गया
उदास बेचैन पुष्प को चाहिए था
थोड़ा प्यार
थोड़ा दुलार
थोड़ी हंसी
थोड़ी हमदर्दी
जो ना मिल पाई


फिर एक दिन
आया एक भंवरा
जो उसके आसपास मंडराता
उसे तराने सुनाता
उसे खिलखिलाना सिखाता
पुष्प हुआ पुनर्जीवित
उसके प्यार से
दुलार से
पर
चिंतित हर क्षण
ना खो दे
अपनी खुद्दारी
आत्मसम्मान
अपना अस्तित्व
क्योंकि
यह दुनिया है स्वार्थी
यहाँ कुछ भी पाने के लिए
कुछ खोना पड़ता है
उस ने सोचा
अगर कुछ खोना है तो
खोना होगा अपना वजूद
या तो वो होगा
किसी मंदिर
किसी शहीद की
समाधि पर अर्पित
फिर क्यों करे
वो
अपना आत्मसम्मान
अपनी खुद्दारी समर्पित

अगर मिले कोई ऐसा पुष्प
उसे
अपने प्यार से
दुलार से

सींचना हर दम
नहीं करना उसे मजबूर
खोने के लिए उसका वजूद

.....................................

मौलिक व अप्रकाशित 

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Comment by Meena Pathak on March 3, 2014 at 9:31am
Bahut sundar, dil ko chhoo Gayee aap kee Rachna .. Badhai
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 2, 2014 at 10:38am

बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना, बधाई स्वीकारें आदरणीया सरिता जी

Comment by बृजेश नीरज on March 2, 2014 at 8:09am

अच्छी रचना! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by kalpna mishra bajpai on March 1, 2014 at 10:06pm

आ0 सरिता जी भाव पूर्ण रचना के लिए बहुत बधाई /सादर

Comment by कल्पना रामानी on March 1, 2014 at 9:02pm

बहुत सुंदर कविता  सरिता जी, हार्दिक बधाई आपको /सादर

Comment by annapurna bajpai on March 1, 2014 at 7:15pm

बहुत बहुत सुंदर , हृदय स्पर्शी रचना । आ0 सरिता भाटिया जी बधाई आपको । 

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