For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वही मै दे पाया ! … नवगीत !

वही मै दे पाया !   … नवगीत !
----------------------------------
जो था मेरे पास 
वही मै दे पाया
 
अंतर में खुशियों का सोता 
होठों पर मुस्कान 
चहरे पर है इंद्रधनुष और 
हाव-भाव में शान 
 
इठलाता मधुमास 
तुम्हारी खातिर लाया  …ज़ो था …वही मै दे पाया  
 
मन में था अवसाद 
अधर भी सूखे-सूखे 
नयन किसी दर्शन को 
जैसे  प्यासे -भूखे 
 
घुटन  नीर आभास 
यही बस लिख पाया …ज़ो था …वही मै दे पाया 
 
देने को तो दे सकता 
पर क्या है अपना
एक बार तो पूंछू 
उससे उसका सपना 
 
अपने-अपने वृत्त 
समय ने समझाया …ज़ो था …वही मै दे पाया 
 
जो था मेरे पास 
वही मै दे पाया ! …ज़ो था …वही मै दे पाया  
------------------------------------------------
अविनाश बागडे     मौलिक/अप्रकाशित 

Views: 709

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by AVINASH S BAGDE on December 25, 2013 at 11:11am
Comment by vandana on December 25, 2013 at 8:02am

बहुत सुन्दर नवगीत आदरणीय अलग अलग मनोभावों को समेटे हुए 

Comment by coontee mukerji on December 24, 2013 at 10:34pm

देने को तो दे सकता 
पर क्या है अपना
एक बार तो पूंछू 
उससे उसका सपना.........बहुत सुंदर नवगीत.
Comment by annapurna bajpai on December 24, 2013 at 6:25pm

आ0 अविनाश जी सुंदर नवगीत के लिए आपको हार्दिक बधाई । 

Comment by AVINASH S BAGDE on December 24, 2013 at 5:00pm
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 24, 2013 at 11:32am

अविनाश जी

सुन्दर गीत के लिए आपको बधाई i

Comment by AVINASH S BAGDE on December 24, 2013 at 5:58am

आद. शिज्जु शकूर जी बहुत बहुत आभार ..

Comment by AVINASH S BAGDE on December 24, 2013 at 5:57am

hriday ki gaharaiyon se aabhar aadarniy Sushil Sarna ji/is rachana ne aapako sparsh kiya...बहुत बहुत आभार ..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 23, 2013 at 8:50pm

आदरणीय अविनाश सर इस खूबसूरत रचना के लिये दिली दाद कुबूल करें

Comment by Sushil Sarna on December 23, 2013 at 7:43pm
देने को तो दे सकता 
पर क्या है अपना
एक बार तो पूंछू 
उससे उसका सपना 
 
अपने-अपने वृत्त 
समय ने समझाया …ज़ो था …वही मै दे पाया 
 
जो था मेरे पास 
वही मै दे पाया ! …ज़ो था …वही मै दे पाया  ......antrman ke aihsaason kee khoobsoorat abhivyakti...is manohaaree rachna ke liye haardik badhaaee

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। रोटी पर अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
yesterday
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service