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कुण्डलियां-1


कुत्ता प्यारा जीव है, वफादार बलवान।
घर की  नित रक्षा करे, रख पौरूष अभिमान।।
रख पौरूष अभिमान, गली का शेर कहाए।
चोर और अंजान, भाग कर जान बचाए।।
द्वार रहे गर श्वान, शान ज्यों माणिक मुक्ता।
पर मानव मक्कार, अहम वश कहता कुत्ता।।


के0पी0सत्यम-मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 20, 2013 at 1:53pm

केवल जी

कुण्डलिया के लिए आपको बधाई   i  प्रिय !  कुत्ता तो जातिवाचक संज्ञा है i इसीलिए कुछ लोग नामकरण करते है जैसे - हीरा ,मोती  और कुतिया को पिंकी आदि  i पर कुण्डलिया आपने  अच्छी रची है i

Comment by coontee mukerji on December 20, 2013 at 1:22pm

पर मानव मक्कार, अहम वश कहता कुत्ता।।...........हाँ इतने प्यारे जीव को पता नहीं ऐसा शब्द क्यों कहते है. .....इनके साथ रहकर ही इस प्राणी की महानता का पता चलता है...........केवल भाई , जैक को मेरा सलाम कहना.सादर.

Comment by Meena Pathak on December 20, 2013 at 12:22pm

बहोत सुन्दर कुण्डलिया, लाज़वाब | बधाई आ० केवल जी | सादर

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