For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

धनक से रंग लाये हैं तुम्हें जी भर लगायें हम ( गज़ल ) गिरिराज भंडारी

1222    1222      1222     1222   

धनक से रंग लाये हैं तुम्हें जी भर लगायें हम

***********************************

तमन्नाओं की कश्ती में तुझे ऐ दिल बिठायें हम

तेरी इन डूबती सांसों की उम्मीदें जगायें हम

 

बहुत ठोकर मिली दुनिया से ये सब जानते ही हैं 

थका हारा बहुत लगता है आ तुझको सुलायें हम

 

नये सपने नये अरमान ले के देख आये हैं

भरोसा कर ले आँखें खोल तुमको भी दिखायें हम

 

बहुत बेरंग दुनिया थी तेरी अब तक चलो माना

धनक से रंग लाये हैं तुझे जी भर लगायें हम

 

सभी दिन कब हुये रोशन सभी रातें नही काली 

तेरी तारीकियों में मिल सभी किरणें सजायें हम  

 

तेरी मुस्कान की कलियाँ खिलेंगी फिर से गुलशन में

सुनहरी यादें ताज़ा कर तुझे आ गुदगुदायें हम

 

चलो दिल खोल के बोलें करें शिकवे भी आपस में

जलन दिल में लिये धीरे से काहे बुदबुदायें हम 

        ******************

 मौलिक एवँ अप्रकाशित 

Views: 1018

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 18, 2013 at 6:43pm

आदरणीय आशुतोष भाई , !!!!!!!!!  गज़ल की सराहना और हौसला अफज़ाई का अपको दिली शुक्रिया !!!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 18, 2013 at 6:41pm

आदरणीय अभिनव अरुण भाई ,  !!!!! हौसला अफज़ाई के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 18, 2013 at 6:40pm

आदरणीय अरुण अनंत भाई , !!!!! आपको गज़ल पसन्द आई , मेरा प्रयास सफल हुआ !!!! सराहना और हौसला अफज़ाई का आपका बहुत शुक्रिया !!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 18, 2013 at 6:37pm

आदरणीय शिज्जू भाई , आपको गज़ल पसन्द आई ये मेरे किये बहुत खुशी की बात है !!!! आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 18, 2013 at 6:35pm

आदरणीय बड़े भाई गोपाल भाई , गज़ल की सराहना और  हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया !!!! ऐसे ही स्नेह बनायें रखें !!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 18, 2013 at 6:33pm

आदरणीय चन्द्र शेखर भाई , हौसला अफज़ाई के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!!!

Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 18, 2013 at 5:27pm

सभी दिन कब हुये रोशन सभी रातें नही काली 

तेरी तारीकियों में ए मिल सभी किरणें सजायें हम  ...आदरणीय गिरिराज भाईसाब ...इस उम्दा ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई 

Comment by Abhinav Arun on November 18, 2013 at 5:24pm

सुन्दर ...भावपूर्ण कामना संजोये ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई आ. श्री गिरिराज जी !!

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 18, 2013 at 4:45pm

आय हाय हाय कमाल कमाल कमाल आदरणीय दिल खुश कर दिया आपने अत्यंत खूबसूरत ग़ज़ल सभी के सभी शेर पर दिली दाद कुबूल फरमाएं.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on November 18, 2013 at 4:27pm

आदरणीय गिरिराज सर आपकी ग़ज़लगोई कमाल की है, इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिये क्या कहूँ बस वाह वाह है, दिली दाद कुबूल करें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
yesterday
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
yesterday
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service