For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सिर्फ कानों सुना नहीं जाता

2 1 2 2   1 2 1 2   2 2

सिर्फ कानों सुना नहीं जाता
लब से सब कुछ कहा नहीं जाता

दर्द कि इन्तहां हुई यारों
मुझसे अब यूँ सहा नहीं जाता

देश का हाल जो हुआ है अब
चुप तो मुझसे रहा नहीं जाता

चुन के मारो सभी  दरिन्दों को
माफ इनको किया नहीं जाता

वो खता बार- बार करता है
फिर सज़ा क्यूँ दिया नहीं जाता

है भला क्या तेरी परेशानी
बावफ़ा जो हुआ नहीं जाता

कैसे वादा निभाऊ जीने का
तेरे बिन अब जिया नहीं जाता

संजू शब्दिता मौलिक व अप्रकाशित

Views: 702

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Meena Pathak on September 27, 2013 at 3:04pm

बहुत सार्थक और सटीक रचना ... बधाई 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on September 27, 2013 at 1:34pm

आज के माहौल में सटीक है यह  गजल , सब कुछ बर्दाश्त के बाहर हो गया है ।  बधाई आ. संजूजी ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 27, 2013 at 1:10pm

आदरणीया संजू जी , अच्छी गज़ल कही है ,  आपको बहुत बधाई !!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 27, 2013 at 12:51pm

दर्द कि इन्तहां हुई यारों
मुझसे अब यूँ सहा नहीं जाता....यह शेर बहुत पसंदीदा हुआ

लाजवाब गजल प्रस्तुति, बधाई स्वीकारें आदरणीया संजू जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 27, 2013 at 12:43pm

आदरणीया संजू जी ग़ज़ल पर आपका प्रयास बहुत अच्छा है कुछ अशआर बेहद शानदार कहे हैं आपने इस हेतु बधाई स्वीकारें.

वो खता बार- बार करता है
फिर सज़ा क्यूँ दिया नहीं जाता .. आदरणीया यह शेर मुझे अटपटा लगा सजा के साथ जाता कैसे ?

Comment by Saarthi Baidyanath on September 27, 2013 at 12:10pm

कैसे वादा निभाऊ जीने का 
तेरे बिन अब जिया नहीं जाता ...इस शेर के लिए दाद हाज़िर है महोदया ....!..बहुत खूब :)

Comment by रविकर on September 27, 2013 at 11:48am

सुन्दर प्रस्तुति-
आभार आदरणीया-

Comment by रमेश कुमार चौहान on September 27, 2013 at 11:10am

आदरणीया संजू सिंह, कला पक्ष का मुझे ज्ञान नही, भाव पक्ष वाह गजब मजा आ गया । आपको बहुत बहुत बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"डिलेवरी बॉय  मई महीने की सूखी गर्मी से दिन तप गया था। इतने सारे खाने के पैकेट लेकर तीसरे माले…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है। यह लघुकथा पाठक को गहरे…"
3 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान'मैं सुमन हूँ।' पहले ने बतया। '.........?''मैं करीम।' दूसरे का…"
4 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"स्वागतम"
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar joined Admin's group
Thumbnail

सुझाव एवं शिकायत

Open Books से सम्बंधित किसी प्रकार का सुझाव या शिकायत यहाँ लिख सकते है , आप के सुझाव और शिकायत पर…See More
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। विलम्ब से उत्तर के लिए…"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आ. भाई धर्मेंद्र जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आयोजन की सफलता हेतु सभी को बधाई।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। वैसे यह टिप्पणी गलत जगह हो गई है। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)

बह्र : 2122 2122 2122 212 देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिलेझूठ, नफ़रत, छल-कपट से जैसे गद्दारी…See More
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service