For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शर्म से हम आँख मीचे क्यूँ रहें

शर्म से हम आँख मीचे क्यूँ रहें

दौड़ है सोहरत की पीछे क्यूँ रहें

 

तब हुए पैदा जमीं पे अब मगर

हौसलों के पर हैं नीचे क्यूँ रहें

 

सच का लज्जत चख चुके हैं हम यहाँ

फिर बता दो हम भी तीखे क्यूँ रहें

 

जानते हैं फल में कीड़े कब लगे

इस कदर फिर हम भी मीठे क्यूँ रहें

 

जिन लकीरों ने कराई जंग है

“दीप” अब तक उनको खींचे क्यूँ रहें

 

संदीप कुमार पटेल “दीप”

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 920

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राज़ नवादवी on September 24, 2013 at 7:50am

'सोहरत'- 'शोहरत' 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 23, 2013 at 11:12pm

सच का लज्जत चख चुके हैं हम यहाँ

फिर बता दो हम भी तीखे क्यूँ रहें

बेहद शानदार गजल, बहुत बहुत बधाई आदरणीय संदीप जी

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 23, 2013 at 10:16pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी सादर

आपका बहुत बहुत धन्यवाद स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 23, 2013 at 10:16pm

आदरणीया मीना जी सादर

आपका सराहना हेतु बहुत बहुत धन्यवाद स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 23, 2013 at 10:15pm

आदरणीय अखिलेश जी सादर 

आपका बहुत् बहुत आभार स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 23, 2013 at 10:14pm

आदरणीय शिज्जू जी सादर

आपका बहुत बहुत धन्यवाद और आभार

यूँ ही मार्गदर्शन और स्नेह बनाये रखिये

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 23, 2013 at 10:13pm

आदरणीय रविकर सर जी सादर प्रणाम

आपकी सराहना सर आँखों

स्नेह और आशीष बनाये रखिये

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 23, 2013 at 10:12pm

आदरणीय गिरिराज जी सादर

उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद आपका

स्नेह बनाये रखिये

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 23, 2013 at 10:11pm

आदरणीय अभिनव सर जी सादर प्रणाम

हौसलाफजाई के लिए आभारी हूँ

स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 23, 2013 at 10:10pm

आदरणीय सलीम साहब आपका बहुत बहुत शुक्रिया

आपके कहे पर विचार करूँगा स्नेह बनाये रखिये

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" पर्यावरण की इस प्रकट विभीषिका के रूप और मनुष्यों की स्वार्थ परक नजरंदाजी पर बहुत महीन अशआर…"
42 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"दोहा सप्तक में लिखा, त्रस्त प्रकृति का हाल वाह- वाह 'कल्याण' जी, अद्भुत किया…"
47 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीया प्राची दीदी जी, रचना के मर्म तक पहुंचकर उसे अनुमोदित करने के लिए आपका हार्दिक आभार। बहुत…"
56 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी इस प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। सादर"
58 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका मेरे प्रयास को मान देने के लिए। सादर"
59 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह एक से बढ़कर एक बोनस शेर। वाह।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"छंद प्रवाह के लिए बहुत बढ़िया सुझाव।"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"मानव के अत्यधिक उपभोगवादी रवैये के चलते संसाधनों के बेहिसाब दोहन ने जलवायु असंतुलन की भीषण स्थिति…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" जलवायु असंतुलन के दोषी हम सभी हैं... बढ़ते सीओटू लेवल, ओजोन परत में छेद, जंगलों का कटान,…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आग लगी है व्योम में, कहते कवि 'कल्याण' चहुँ दिशि बस अंगार हैं, किस विधि पाएं त्राण,किस…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"भाई लक्षमण जी एक अरसे बाद आपकी रचना पर आना हुआ और मन मुग्ध हो गया पर्यावरण के क्षरण पर…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"अभिवादन सादर।"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service