For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - इल्म की रोशनी नहीं होती !

ग़ज़ल –

२१२२   १२१२   २२

इल्म की रोशनी नहीं होती ,

ज़िन्दगी ज़िन्दगी नहीं होती |

 

एक कोना दिया है बच्चों ने ,

और कुछ बेबसी नहीं होती |

 

रंग आये कि सेवई आये ,

तनहा कोई ख़ुशी नहीं होती |

 

दिल के टूटे से शोर होता है ,

ख़ामुशी ख़ामुशी नहीं होती |

 

सारे चेहरे छुपे मुखौटों में ,

दिल में भी सादगी नहीं होती |

 

माँ के आँचल से दूर हैं बच्चे ,

बाप से बंदगी नहीं होती |

 

जी हुज़ूरी करूँ सलामी दूं ,

मुझसे ये नौकरी नहीं होती |

 

झूठ छाया है हर रिसाले में ,

सच की सुर्खी कभी नहीं होती |

 

*दौरे हाज़िर भी एक बवंडर है ,

आँधियों की कमी नहीं होती |

*संशोधित 

(मौलिक और अप्रकाशित)

        - अभिनव अरुण 

          [१२०९२०१३]

Views: 1226

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on September 20, 2013 at 5:57am

हार्दिक धन्यवाद श्री बैद्यनाथ जी .स्नेह मिलता रहे यही कामना है !!

Comment by Saarthi Baidyanath on September 19, 2013 at 11:46pm

:
दिल के टूटे से शोर होता है ,

ख़ामुशी ख़ामुशी नहीं होती.....जिंदाबाद साहब ..कमाल का शेर है !..नमन :)

Comment by Abhinav Arun on September 19, 2013 at 4:19am

आ. महिमा जी हार्दिक आभार आपका ग़ज़ल आपका अनुमोदन प्राप्त कर कृतार्थ हुई | शुक्रिया !!

Comment by MAHIMA SHREE on September 18, 2013 at 10:53pm

दिल के टूटे से शोर होता है ,

ख़ामुशी ख़ामुशी नहीं होती

 

सारे चेहरे छुपे मुखौटों में ,

दिल में भी सादगी नहीं होती

 

दौरे हाज़िर भी एक बवंडर है ,

आँधियों की कमी नहीं होती.....बेहद सादगी से आपने गहरी बात कह दी बहुत -२ हार्दिक बधाई आदरणीय ..

 

 

Comment by Abhinav Arun on September 18, 2013 at 9:13pm

बहुत आभार श्री राम जी शुक्रिया 

Comment by ram shiromani pathak on September 18, 2013 at 7:51pm

बहुत बहुत बधाई इस उम्दा गज़ल पर आ० अभिनव अरुण जी /////सादर 

Comment by Abhinav Arun on September 15, 2013 at 8:50am
शुक्रिया डॉ ललित जी स्नेह मिला आभारी हूँ !
Comment by Dr Lalit Kumar Singh on September 15, 2013 at 6:42am

बधाई इस उम्दा गज़ल के लिए

Comment by Abhinav Arun on September 15, 2013 at 6:19am

आपकी साहसिक टिप्पणी के लिए शुक्रिया अखिलेश जी :-) 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on September 14, 2013 at 10:11pm

जी हुज़ूरी करूँ सलामी दूं ,मुझसे ये नौकरी नहीं होती | 

--- चापलूसी पसंद भारत देश में चपरासी से प्रधान मंत्री तक यही तो कर रहा है।  अभिनव अरुण जी बधाई अच्छी गजल के लिए ।

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service