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          टीवी देखते देखते अचानक राम लाल बड़ी तेज़ी से फोन की ओर लपका, घर से दूर बड़े शहर मे पढ़ रही बिटिया से बात कर कुछ संयत हुआ, फिर दोनो आँखें बंद कर बुदबुदाया ……
"हे !  प्रभु आपका लाख-लाख शुक्र है बिटिया सकुशल है" 
                   टीवी पर अभी भी एक महिला फोटोग्राफर के साथ हुए सामूहिक बलात्कार पर विश्लेषण जारी था |

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by बृजेश नीरज on September 5, 2013 at 11:15pm

अजब भय और असुरक्षा का वातावरण है। समाज जब दिशा और मर्यादा विहीन होने लगता है तब ऐसे ही भय अपने पैर जमाते हैं।
इस अभिव्यक्ति पर आपको हार्दिक बधाई!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 5, 2013 at 9:05pm

सच! हर इंसान जिसके घर की बहन, बेटी , अगर उससे पल भर भी दूर है,तो उसके मन में वर्तमान में ऐसी घटनाओं ने कितना खौफ पैदा कर रखा है,

सामयिक समस्या पर बहुत बढ़िया लघुकथा, बहुत बहुत बधाई आदरणीय गणेश बागी जी   


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 5, 2013 at 8:56pm

आदरणीय केवल भाई जी, आप लोगो का स्नेह और माँ शारदे की कृपा है जिससे क्रम चल रहा है, आपकी उत्साहवर्धन करती टिप्पणी हेतु बहुत बहुत आभार । 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on September 5, 2013 at 8:44pm

आ0 गनेश सर जी,   सादर प्रणाम!  वाह!  सर जी! यह क्रम जारी रखें।  चेतना पूरित लघु कथाएं।  अतिसुन्दर प्रस्तुति।  हार्दिक बधाई स्वीकारें।   सादर,  

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