For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघु कथा : दर्द (गणेश जी बागी)

ज फिर किसी ने पारस को चाकू मार दिया था, उसकी किस्मत अच्छी थी कि घाव बेहद मामूली था.  डाक्टर बाबू देखते ही पारस को पहचान गये, क्योंकि कोई आठ दस महीने पहले की ही तो बात है जब पारस के घर मे डकैती हुई थी और बदमाशों ने पारस के शरीर पर चाकू से अनगिन वार किये थे, तब इलाज के लिए उसे इसी डाक्टर के पास लाया गया था, गंभीर रूप से ज़ख़्मी होने के बावजूद भी इस बहादुर नौजवान के मुँह से उफ़ तक नहीं निकली थी, लेकिन इस बार अत्यधिक दर्द से रोता बिलखता देख डाक्टर साहब को बहुत आश्चर्य हो रहा था, अत; उन्होंने पूछ ही लिया :

"अरे पारस इतना तो तुम पिछली बार भी नही रोये चिल्लाए थे जितना अब रो रहे हो, जबकि इस बार तो घाव भी मामूली सा है,

"डाक्टर साहब ! पिछली बार कुछ अजनबी बदमाशों ने मुझ पर वार किया था जिन्हे मैं जानता तक नही, पर इसबार वार करने वाला मेरा ............"

"मौलिक व अप्रकाशित"

पिछला पोस्ट => मर्द

Views: 1815

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by shubhra sharma on July 18, 2013 at 12:06pm

आदरणीय बागी जी , आपकी लघु कथा 'दर्द' हर इन्सान के अपनों से खाए दर्द का एहसास कराता है, वेहद मार्मिक, मानवीय संवेदनाओं को झकझोरने वाला . ऐसे भी 'दर्द हमेशा अपने ही देते है वर्ना गैरों को क्या पता आपको तकलीफ किस बात से होती है '


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 18, 2013 at 12:11am

दुनिया जो घाव लगाये तो मीत जिया बहलाये.. // ..मनमीत जो घाव लगाये उसे कौन मिटाये.. .

जिस दर्द को अपनों ने दिया उसकी अभिव्यक्ति आर्तनाद से भी संभव नहीं

बढिया. ..


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 17, 2013 at 11:10pm

सराहना और उत्साहवर्धन हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी . 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 17, 2013 at 11:07pm

सराहना हेतु ह्रदय से आभार बृजेश भाई .


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 17, 2013 at 11:06pm

आदरणीय रविकर जी इस लघुकथा के भावार्थ को आपने अपनी कुण्डलिया के माध्यम से व्यक्त कर दिया है, सबसे पहले तो एक ससक्त कुण्डली पर बधाई तदुपरांत लघुकथा को सराहने हेतु आभार स्वीकार करें .  

Comment by MAHIMA SHREE on July 17, 2013 at 8:14pm

अंतिम पंक्ति ने तो वाकई में हर युग में अपनों द्वारा किये गए  वार का  दर्द  बयाँ कर दिया ..बहुत -२ हार्दिक  बधाई आदरणीय बागी जी ..

Comment by coontee mukerji on July 17, 2013 at 7:38pm

"डाक्टर साहब ! पिछली बार कुछ अजनबी बदमाशों ने मुझ पर वार किया था जिन्हे मैं जानता तक नही, पर इसबार वार करने वाला मेरा ............"

  हम दुसरों की मार तो सह लेते हैं मगर अपनों की मार सही नहीं जाती है.

थोड़े शब्दों में बहुत ही सुंदर प्रस्तुति.

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 16, 2013 at 10:55pm

आ0 गनेश सर जी,  वाह!  लाजवाब! अतिसुन्दर और सटीक कथ्य।  हार्दिक बधाई स्वीकारें।   सादर,


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 16, 2013 at 9:27pm

आभार धर्मेन्द्र कुमार जी, दाद कुबुल किया । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 16, 2013 at 9:26pm

लघुकथा में निहित कथ्य को उकेरने और सराहना हेतु दिल से आभार आदरणीय जीतेन्द्र पस्तारिया जी । 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

ajay sharma shared a profile on Facebook
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Monday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Sunday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service