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बारिश : सरिता भाटिया

काली घटाओं ने दिल्ली को यूँ घेरा है

दिन में ही देखो छाया कैसा अँधेरा है

दिल क्यों धक धक करे गोरी तेरा है

आज तो ठंडी हवाओं का यहाँ बसेरा है

होगी बारिश खूब,दिल कहे आज मेरा है

बहारों ने देखो फिर से जादू बिखेरा है

.....................सरिता....................

         मौलिक व अप्रकाशित 

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Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 20, 2013 at 3:06pm

हार्दिक बधाई

Comment by बृजेश नीरज on June 19, 2013 at 10:57pm

इस सुंदर रचना के लिए मेरी हार्दिक बधाई स्वीकारें!

Comment by ram shiromani pathak on June 19, 2013 at 10:02pm

सुन्दर रचना  *************//हार्दिक  बधाई 

Comment by Sumit Naithani on June 18, 2013 at 4:09pm

बहुत सुन्दर रचना  

Comment by Shyam Narain Verma on June 18, 2013 at 2:26pm

अतिसुन्दर और मनभावन प्रस्तुति।   हार्दिक बधाई स्वीकारें।  

Comment by Meena Pathak on June 18, 2013 at 1:07pm

बहुत सुन्दर रचना  पर बारिश का विकराल रूप देख कर डर लग रहा है 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 18, 2013 at 8:13am

आ0 सरिता जी,   दिल्ली का जादू चल रहा...लाजपत नगर की भी लाज नहीं बचपाई है।   अतिसुन्दर प्रस्तुति।   हार्दिक बधाई स्वीकारें।  सादर,

Comment by Sarita Bhatia on June 17, 2013 at 10:44pm

कुंती जी नमस्कार 

शुक्रिया जी 

Comment by Sarita Bhatia on June 17, 2013 at 10:44pm

अमन जी बिकुल सही कहा पुरे देश में ही नहीं पुरे संसार में बारिश का कहर शुरू हो गया है 

Comment by Sarita Bhatia on June 17, 2013 at 10:43pm

आदरणीय प्रज्ञा जी 

वाकई बारिश देख कर लिखने को मन दौड़ता है 

शुक्रिया जी 

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