For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फिर मिलेंगे अगर खुदा लाया (तरही ग़ज़ल)

(प्रवास पर होने के कारण तरही मुशायरा अंक ३५ की ग़ज़ल यहाँ पेश कर रही हूँ )

आज जिस हाल में खुदा लाया

वक्त सपने वहीँ सजा लाया

रात सपने हसीन लाती है

दिन बुलाकर करीब क्या लाया

चाँदनी से सितारे रूठेंगे

चाँद दिल रात का चुरा लाया

तुम मिलोगे हजार कोशिश की

फिर हमें आज वास्ता लाया

जाते- जाते यही कहा उसने

फिर मिलेंगे अगर खुदा लाया

मोड़ जिसपर जुदा हुए थे हम

फिर वहीँ आज रास्ता लाया

कैसे भरता उड़ान वो अपनी

वक़्त जाकर उसे उठा लाया

आस्मां पर निगाह थी अपनी

वक़्त काफ़िर नज़र झुका लाया

मौज़ अपने रुमाल में रख ले

नीर ‘पुखराज़’ जो बहा लाया

आग जिसको तलाश करती थी

वो हवा एक काफिला लाया

खिल न पाये गुलाब भी देखो

'राज' किसका नसीब क्या लाया

***************************

Views: 940

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 30, 2013 at 9:00pm

आदरणीय अशोक रक्ताले जी तहे दिल से शुक्रिया आपको ग़ज़ल पसंद आई |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 30, 2013 at 8:59pm

आदरणीय सौरभ जी आपका दिल से शुक्रिया ,भांजे की शादी में मुंबई गई थी आज ही लौटी हूँ मुशायरे को बहुत मिस किया कल सबकी ग़ज़ल पढूंगी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 30, 2013 at 8:56pm

प्रिय शालिनी जी तहे दिल से शुक्रिया आपका 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 30, 2013 at 8:55pm

डॉ .आसुतोष बाजपेई जी आपकी प्रतिक्रिया सर आँखों पर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 30, 2013 at 8:54pm

प्रिय गीतिका जी आपका  प्रभूत आभार आप सब को मैंने भी मिस किया सच पूछो तो ओ बी ओ का कोई भी महोत्सव मैं मिस नहीं करना चाहती 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 30, 2013 at 8:51pm

प्रिय अरुन  शर्मा  अभिभूत हूँ आपकी प्रतिक्रिया पढ़ कर सच में सच में हम ओ बी ओ से इस तरह जुड़ गए हैं की कहीं भी जाएँ मन वहीँ पड़ा रहता है आज ही आई हूँ कल वक़्त मिलते ही सभी की ग़ज़लें पढूंगी तहे दिल से शुक्रिया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 30, 2013 at 8:48pm

जीतेंद्र जी आपकी प्रतिक्रिया हेतु  तहे दिल से आभारी हूँ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 30, 2013 at 8:47pm

प्रिय सखी शशि पुरवार जी आपकी प्रशंसा संभाल कर रख ली है हार्दिक धन्यवाद । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 30, 2013 at 8:45pm

श्याम नारायण वर्मा जी तहे दिल से शुक्रिया आपको ग़ज़ल पसंद आई |

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 27, 2013 at 8:42am

आदरेया राजेश कुमारी जी सादर, बहुत सुन्दर गजल कही है सभी अशआर बहुत ही खूब हैं दिली दाद कुबूल फरमाएं.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
""ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"निशा स्वस्ति "
8 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"उस्ताद-ए-मुहतरम आदरणीय समर कबीर साहिब की आज्ञानुसार :- "ओबीओ लाइव तरही मुशायरा" अंक 168…"
8 hours ago
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय हौसला बढ़ाने के लिए बेहद शुक्रिय:।"
9 hours ago
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय ग़ज़ल तक आने तथा हौसला बढ़ाने के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
9 hours ago
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर जी ग़ज़ल पर आने तथा इस्लाह देने के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय फिर अन्य भाषाओं ग़ज़ल कहने वाले छोड़ दें क्या? "
9 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"गुरु जी जी आप हमेशा स्वस्थ्य रहें और सीखने वालों के लिए एक आदर्श के रूप में यूँ ही मार्गदर्शक …"
9 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"//मेरा दिल जानता है मैंने कितनी मुश्किलों से इस आयोजन में सक्रियता बनाई है।// आदरणीय गुरुदेव आप…"
9 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"जी बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकार करें आ अमीर जी की इस्लाह भी ख़ूब हुई"
9 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"सभी गुणीजनों की बेहतरीन इस्लाह के बाद अंतिम सुधार के साथ पेश ए ख़िदमत है ग़ज़ल- वाक़िफ़ हुए हैं जब…"
9 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"//उर्दू ज़बान सीख न पाए अगर जनाब वाक़िफ़ कभी न होंगे ग़ज़ल के हुनर से हम'// सत्यवचन गुरुदेव। सादर…"
9 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service