For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

डमरू घनाक्षरी / गीतिका 'वेदिका'

डमरू घनाक्षरी अर्थात बिना मात्रा वाला छंद
३२ वर्ण लघु बिना मात्रा के ८,८,८,८ पर यति प्रत्येक चरण में

लह कत दह कत, मनस पवन सम 

धक् धक् धड़कन, धड कत परबस

डगमग डगमग, सजन अयन पथ,

बहकत हर पग, मन जस कस तस 

बस मन तरसत, बस मन पर घर 

अयन जतन तज, अचरज घर हँस 

चलत चलत पथ, सरस सरस पथ,

सजन सजन पथ, हरस हरस हँस 

                              गीतिका 'वेदिका'

                             १ : १ ६ अपरान्ह

                        १ / ० ५ / २ ० १ ३

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 2622

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वेदिका on May 24, 2013 at 2:36pm

आदरणीय जीतेन्द्र जी! आपको डमरू छंद अच्छा लगा , आपने सराहना कर के मेरा उत्साह सम्वर्धन किया ,,,अस्तु आपका आभार। 

यह मेरा प्रथम प्रयास ही है ...डमरू छंद पर ..और अभी अभी मैंने हाथ आजमाइश करना प्रारम्भ किया है छंद विधा पर ... 
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 23, 2013 at 12:55am
"Aadrniya...gitika 'vedika ' ji, aapki "dmru ghanakshri " panktiyan pdi..chhando ka mujhe gyan to nhi, pr bda aascharychakit rh gya...bina matraon ke aapne bhut khoob likha hai
Comment by वेदिका on May 2, 2013 at 11:23pm

आदरनीय सौरभ जी!
प्रयास पर उत्साह वर्धन के लिए आभार
प्रयास प्रथम ही है मेरा ..और मैंने कोशिश भी की है ये छंद मात्र लघु वर्णों का समुच्च ही न हो बल्कि उसका कोई सार्थक अर्थ भी हो ..मार्ग दर्शन बनाये रखिये


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 2, 2013 at 11:13pm

आपने इस घनाक्षरी की भूमिका में लिखा है कि यह बिना मात्रा के शब्दों वाली घनाक्षरी लिखने की विधा है. उस हिसाब से आपका प्रयास सराहनीय है. 

Comment by वेदिका on May 2, 2013 at 8:04pm

आदरणीय प्रदीप कुमार जी!, आदरणीय बृजेश जी!, आदरनीय अरुण जी!, आदरणीय मनोज जी!, आदरणीय रक्ताले जी!, आदरणीया वन्दना तिवारी जी!,
आप सभी के स्नेह के लिए बहुत कृताथ हूँ ...डमरू छंद पर मेरा प्रथम प्रयास ही है ये ....आपने  इसे सर आँखों पर लेकर मुझे गौरान्वित ही नही बल्कि गर्वीली भी कर दिया ...आभार!

Comment by Vindu Babu on May 2, 2013 at 9:44am
अच्छी टमरू धनाक्षरी बन पड़ी है आदररेया वेदिका जी।
सादर बधाई स्वीकारें।
Comment by Ashok Kumar Raktale on May 1, 2013 at 11:22pm

आदरणीया गीतिका जी सुन्दर डमरू घनाक्षरी प्रस्तुत की है. बहुत सुन्दर भाव लिए. सादर बधाई स्वीकारें.

Comment by manoj shukla on May 1, 2013 at 8:20pm
बहुत सुन्दर रचना ...बधाई स्वीकार करें आदर्णीया
Comment by अरुन 'अनन्त' on May 1, 2013 at 6:11pm

वाह आदरणीया गीतिका जी वाह डमरू घनाक्षरी प्रस्तुत की है आपने, हमे तो नचा ही दिया आपने डमरू बजाकर क्या कहने लाजवाब हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by बृजेश नीरज on May 1, 2013 at 5:43pm

गीतिका जी वाह! आपका कमाल अभी मुशायरे में देखा! अब यहां! इस सुन्दर प्रयास के लिए आपको बधाई!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
6 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service