For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कहीं पे चीख होगी और कहीं किलकारीयाँ होंगी ( सलीम रज़ा रीवा )

कहीं  पे  चीख होगी और कहीं किलकारीयाँ  होंगी !
अगर हाकिम के आगे भूख और लाचारियाँ होंगी  !!
अगर हर दिल में चाहत हो शराफ़त हो सदाक़त हो !
मुहब्बत  का  चमन होगा ख़ुशी की क्यारियाँ  होंगी !!
किसी को शौक़ यूँ होता नहीं ग़ुरबत में  जीने का !
यक़ीनन   सामने  उसके  बड़ी  दुश्वारियाँ   होंगी !!
ये होली ईद  कहती है  भला  कब अपने  हांथों में !
वफ़ा का रंग  होगा  प्यार  की  पिचकारियाँ होंगी !!
न  छोड़ो  ये  समझ  के  आग     अब   ठंडी  होगी !
ये मुम्किन  है दबी  कुछ राख  में चिंगारियाँ  होंगी !!
मुक़ाबिल में  है आया  एक  जुगनू आज  सूरज के !
यक़ीनन  पास  उसके  भी  बड़ी  तैयारियाँ  होंगी !!
सुख़नवर  का  ये आंगन है रज़ा शेरों की  ख़ुश्बू  है !
ग़ज़ल और गीत नज़्मों  की यहाँ फुलवारियाँ होंगी  !!
 -----------------------------------------------------
"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 834

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr.Ajay Khare on April 22, 2013 at 1:16pm

shandaar jaandar bajandaar gajal ke liye badhai


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 22, 2013 at 8:49am

आपकी ग़ज़ल पर दिल से दाद कह रहा हूँ.

मुक़ाबिल में है आया एक जुगनू आज सूरज के!
यक़ीनन पास उसके भी बड़ी तैयारियाँ होंगी....   रज़ा साहब इस शेर पर विशेष रूप से बधाई.

Comment by SALIM RAZA REWA on April 20, 2013 at 9:53pm

shukriya ...coontee mukerji ji prayas yahi hota hai ki kuch achcha kahe...aaplogo ke sneh se takat milti hai..

Comment by coontee mukerji on April 20, 2013 at 1:20am

मुक़ाबिल में  है आया एक जुगनू आज सूरज के! यक़ीनन  पास  उसके  भी  बड़ी  तैयारियाँ  होंगी

बहुत बड़ी बात कही है आपने सलीम जी .हर गजल में एक मायने छिपी है.बधाई स्वीकार करें .कुन्ती .

Comment by SALIM RAZA REWA on April 19, 2013 at 10:35pm

shukriya  Kewal Prasad ji

Comment by SALIM RAZA REWA on April 19, 2013 at 10:34pm

 डॉ. सूर्या बाली "सूरज" dili shukriya ,,,ji sahab vahana par ''hui hogi '' hai yad dilane ke lie dil se duaa

 

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on April 19, 2013 at 12:45pm

कहीं पे चीख होगी और कहीं किलकारीयाँ होंगी !
अगर हाकिम के आगे भूख और लाचारियाँ होंगी ! खूबसूरत मतला हुआ है

अगर हर दिल में चाहत हो शराफ़त हो सदाक़त हो!
मुहब्बत का चमन होगा ख़ुशी की क्यारियाँ होंगी ! जी बेशक ! बेहद उम्दा ख़याल

किसी को शौक़ यूँ होता नहीं ग़ुरबत में जीने का!
यक़ीनन सामने उसके बड़ी मज़बूरियां होंगी ! वाह वाह जनाब क्या कहने !

ये होली ईद कहती है भला कब अपने हांथों में !
वफ़ा का रंग होगा प्यार की पिचकारियाँ होंगी ! अच्छा है

न छोड़ो ये समझ के आग अब ठंडी होगी !
ये मुम्किन है दबी कुछ राख में चिंगारियाँ होंगी! ऊला मिसरा कुछ खटक रहा है एक बार देख लें।शेर लाजवाब है

मुक़ाबिल में है आया एक जुगनू आज सूरज के!
यक़ीनन पास उसके भी बड़ी तैयारियाँ होंगी ! हासिले ग़ज़ल शेर ...बेहद खूबसूरत

सुख़नवर का ये आंगन है रज़ा शेरों की ख़ुश्बू !
ग़ज़ल और गीत नज़्मों की यहाँ फुलवारियाँ होंगी ! बहुत उम्दा!
सलीम साहब एक उम्दा और मुकम्मल ग़ज़ल के लिए दिली दाद कुबूल करें !!

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 19, 2013 at 10:58am

आदरणीय, सलीम रजा जी! बेहद सुन्दर गजल।.वाह क्या बात है..’मुक़ाबिल में है आया एक जुगनू आज सूरज के! यक़ीनन पास उसके भी बड़ी तैयारियाँ होंगी !’ बहुत बहुत हार्दिक बधाई स्वीकारें...। सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"यह ग़ज़ल विवशता के भाव से आरंभ होकर आशा, व्यंग्य, क्षोभ और अंत में गहन निराशा तक की यात्रा समाज में…"
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी आदरणीय सम्मानित तिलक राज जी आपकी बात से मैं तो सहमत हूँ पर आपका मंच ही उसके विपरीत है 100 वें…"
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"इसी विश्व के महान मंच के महान से भी महान सदस्य 100 वें आयोजन में वही सब शब्द प्रयोग करते नज़र आ…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मैं यह समझ नहीं पा रहा हूँ कि आपको यह कहने की आवश्यकता क् पड़ी कि ''इस मंच पर मौजूद सभी…"
3 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी ' मुसफ़िर' जी सादर अभिवादन अच्छी ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई स्वीकार…"
5 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीया रिचा यादव जी सादर अभिवादन बेहतरीन ग़ज़ल हुई है वाह्ह्हह्ह्ह्ह! शैर दर शैर दाद हाज़िर है मतला…"
5 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सादर अभिवादन उम्द: ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई शैर दर शैर स्वीकार करें!…"
5 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी ' मुसफ़िर' जी सादर अभिवादन!आपका बहुत- बहुत धन्यवाद आपने वक़्त…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन।सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सादर नमस्कार आपका बहुत धन्यवाद आपने समय दिया ग़ज़ल तक आए और मेरा हौसला…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service