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पढ़ लिख कर आगे बढ़ें, बनें नेक इन्सान ।
अच्छी शिक्षा जो मिले, बच्चें भरें उड़ान ।।

बच्चे कोमल फूल से, बच्चे हैं मासूम ।
सुमन की भांति खिल उठें, बनो धूप लो चूम ।।

देखो बच्चों प्रेम ही, जीवन का आधार ।
सज्जन को सज्जन करे, सज्जन का व्यवहार ।।

मजबूती जो नीव में, सदियों चले मकान ।
शिक्षा मात्र उपाय जो, करती दूर थकान ।।

आते देखे भोर को, भागा तामस जाय ।
सुख उसके ही साथ हो, दुख में जो मुस्काय ।।

सच्चाई की राह में, काँटे हैं भरपूर ।
अच्छी बातें सीख लो, करो बुराई दूर ।।

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 18, 2013 at 9:02pm

वाह वाह वाह .. !  भाई आपने तो मोह लिया !

आपकी छंद रचना (दोहा) कमाल-कमाल-कमाल ! हर दोहे पर दिल से बधाई.

तमस भव का तामसिक रूप होता है, भाई.

शुभ-शुभ

Comment by अरुन 'अनन्त' on April 12, 2013 at 4:33pm

अनुज राम शिरोमणि त्रिपाठी जी हार्दिक आभार स्नेह यूँ ही बनाये रखें.

Comment by अरुन 'अनन्त' on April 12, 2013 at 4:33pm

आदरणीया प्राची दीदी सत्य है जब जब आपकी सराहना मिलती है ह्रदय से प्रफुल्लित हो उठता हूँ. लेखनी को अत्यंत बल और सकारात्मक उर्जा मिल जाती है. दीदी सही कहा आपने तृतीय चरण प्रवाह बाधित मुझे भी लग रहा है. दीदी तामस शब्द मुझे लगा ठीक है अन्यथा मैं उपयोग नहीं करता. आशीष एवं स्नेह यूँ ही बनाये रखें.

Comment by अरुन 'अनन्त' on April 12, 2013 at 4:28pm

आदरणीय लक्ष्मण सर सादर नमस्कार, आपको दोहे पसंद आये लेखन कार्य सफल हुआ हार्दिक आभार. स्नेह यूँ ही बनाये रखें.

Comment by अरुन 'अनन्त' on April 12, 2013 at 4:24pm

आदरणीय प्रिय मित्रवर संदीप भाई आपकी सराहना पाकर ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा. यह स्नेह यूँ ही बनाये रखें मित्र.

Comment by अरुन 'अनन्त' on April 12, 2013 at 4:17pm

आदरणीया गीतिका जी सादर आपकी शुभकामना मिली अत्यंत हर्ष हो रहा है हार्दिक आभार.

Comment by ram shiromani pathak on April 11, 2013 at 8:46pm

बड़े सुन्दर दोहे रचे है अपने बड़े भाई बहुत ही सुन्दर ....... हार्दिक बधाई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 11, 2013 at 7:37pm

प्रिय अरुण जी बच्चों के लिए बहुत सुन्दर शिक्षा प्रद दोहे लिखे हैं आपने , बहुत बहुत बधाई आपको 

पढ़ लिख कर आगे बढ़ें, बनें नेक इन्सान ।
अच्छी शिक्षा जो मिले, बच्चें भरें उड़ान ।।...........बिल्कुल सही बात कही है 

बच्चे कोमल फूल से, बच्चे हैं मासूम ।
सुमन की भांति खिल उठें, बनो धूप लो चूम ।। बहुत सुन्दर सुकोमल भाव इस दोहे के 

तृतीय  चरण में प्रवाह बाधित लग रहा है .......................इसे इस तरह देखें "सुमन भाँति ये खिल उठें" 

क्या तमस को तामस लिखना सही होगा ? इस पर भी आश्वस्त हो लें ..

सस्नेह. 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 11, 2013 at 11:03am

सुन्दर दोहे, हार्दिक बधाई अरुण शर्मा "अनंत" जी 

नव संवत्सर,२०७०, गुडी पडवा, एवं चेटी-चंड के शुभ मंगल कामनाए 

नव जोश भर तन मन में, नव चेतन संचार, 

नव वर्ष नया काज हो, उन्नति करे अपार | - लक्ष्मण लडीवाला 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 11, 2013 at 10:45am

आदरणीय बंधुवर अरुण भाई सादर
बहुत ही उत्कृष्ट दोहे रचे हैं अच्छी सिक्षा दी है आपने इन दोहों के माध्यम से
सादर बधाई स्वीकरें
आपको नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ बंधु
सादर

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"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार "
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