For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जागतीआँखें .. टूटते ख्वाब...

पत्थरों के शहर मे दिल ही टूटते थे अभी,
भरम भी टूट गया अब के, अच्छा ही हुआ..
दोस्ती लफ्ज़ से नफ़रत थी हमको पहले भी,
रहा सहा यकीं भी उठ गया अच्छा ही हुआ..
खुली थी आँखें फिर भी नींद आ गयी जाने,
तुमने झकझोर के जगा दिया अच्छा ही हुआ..
ज़मीन होती क़दम तले तो भला गिरते क्यों,
हवा मे उड़ने का अंजाम मिला अच्छा ही हुआ..
ख्वाब था या के हादसा था जो गुज़र ही गया,
यकीं से अपने यकीं उठ गया अच्छा ही हुआ..
यूँ भी मुर्दे पे सौ मन मिट्टी थी पहले से,
एक मन और पड़ गयी तो क्या , अच्छा ही हुआ..
किसी को मीत अब कहना तो क़दर भी करना,
हमारे साथ खैर जो किया अच्छा ही हुआ..
दराज़ उम्र भला होती क्या दुआओं से,
दुआ की भीख न दी तुमने अच्छा ही हुआ......

Views: 688

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sarita Sinha on February 14, 2013 at 10:53pm

बागी जी नमस्कार,इंसान का दिल भी कंप्यूटर ही है,रैंडम एक्सेस कर बैठता है..

Comment by upasna siag on February 14, 2013 at 6:13pm

यूँ भी मुर्दे पे सौ मन मिट्टी थी पहले से,
एक मन और पड़ गयी तो क्या , अच्छा ही हुआ.......बहुत मार्मिक 

Comment by वेदिका on February 14, 2013 at 3:34pm

तुमने झकझोर के जगा दिया अच्छा ही हुआ..!!!

सरल भाषा में मनोभाव व्य्क्तिक्र्ण !

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 14, 2013 at 1:45pm

ज़मीन होती क़दम तले तो भला गिरते क्यों,
हवा मे उड़ने का अंजाम मिला अच्छा ही हुआ waah bahut sundar 

sundar rachna ke liye badhai aadarneeyaa 

Comment by Parveen Malik on February 14, 2013 at 10:35am

किसने किया घायल इस नादाँ दिल को ,

नाम नहीं लिया अच्छा ही हुआ  !

 मैडम जी रचना में इतना दर्द क्यूँ क्यूँ क्यूँ .... 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 14, 2013 at 10:09am

//दोस्ती लफ्ज़ से नफ़रत थी हमको पहले भी,
रहा सहा यकीं भी उठ गया अच्छा ही हुआ..//

रचना एकाएक दर्द की गहराइयों में धकेल देती है , किस मनोभाव के बीच यह रचना अंकुरित हुई होगी, आह !! सुन्दर अभिव्यक्ति , बहुत बहुत बधाई आदरणीया सरिता सिन्हा जी ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
5 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service