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जिंदगी रूठ के मुझसे कहीं खोई होगी

जिंदगी रूठ के मुझसे कहीं खोई होगी 

तकिये में मुंह छिपाकर रोई होगी 

जल गई थी जो अरमानों की फसल 

यंकी नहीं कि फिर से बोई होगी 

बढ़ गई होंगी जब दिल की बेताबियाँ 

टूटी मेरी तस्वीर फिर संजोई होगी

मैं जानता हूँ हाल इस वक़्त भी उसका  

शबनम ओढ़ के पलकों पे सोई होगी  

                 ***** 

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Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 19, 2012 at 10:15pm

बढ़ गई होंगी जब दिल की बेताबियाँ 

टूटी मेरी तस्वीर फिर संजोई होगी

मैं जानता हूँ हाल इस वक़्त भी उसका  

शबनम ओढ़ के पलकों पे सोई होगी  

बहुत खूब   सुन्दर जज्बात  ऐसा ही हो प्यार ,,,कोई रूठ न सके रूठे तो मन में समाया रहे उसका दिल बेताब रहे  और सदा उसे इस दिलवर का इन्तजार रहे .आदरणीया राजेश कुमारी जी ...हरी  ओउम  ...भ्रमर  ५ 

Comment by MAHIMA SHREE on May 19, 2012 at 9:05pm

जिंदगी रूठ के मुझसे कहीं खोई होगी 

तकिये में मुंह छिपाकर रोई होगी 

जल गई थी जो अरमानों की फसल 

यंकी नहीं कि फिर से बोई होगी 

बढ़ गई होंगी जब दिल की बेताबियाँ 

टूटी मेरी तस्वीर फिर संजोई होगी

मैं जानता हूँ हाल इस वक़्त भी उसका  

शबनम ओढ़ के पलकों पे सोई होगी  ...

वाह आदरणीया राजेश दी .. बहुत ही सुंदर .. बहुत अच्छी लगी मुझे .. हार्दिक बधाई आपको

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 19, 2012 at 8:50pm
आदरणीय राजेश कुमारी जी, सादर
जल गई थी जो अरमानों की फसल
यंकी नहीं कि फिर से बोई होगी
बढ़ गई होंगी जब दिल की बेताबियाँ
टूटी मेरी तस्वीर फिर संजोई होगी

मैं जानता हूँ हाल इस वक़्त भी उसका  

शबनम ओढ़ के पलकों पे सोई होगी  


अब बचा ही क्या सारी की सारी अच्छी , बधाई!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 19, 2012 at 7:05pm

बहुत बहुत आभार प्रदीप कुमार कुशवाह जी 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 19, 2012 at 6:48pm
आदरणीय राजेश कुमारी जी, सादर
जल गई थी जो अरमानों की फसल
यंकी नहीं कि फिर से बोई होगी
बढ़ गई होंगी जब दिल की बेताबियाँ
टूटी मेरी तस्वीर फिर संजोई होगी

अब बचा ही क्या सारी की सारी अच्छी , बधाई

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