For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आखिर पुलिस ने उस दुर्दांत आतंकवादी को मार गिराया, उसे मार गिराने वाले पुलिस अफ़सर की बहादुरी की भूरि भूरि प्रशंसा हो रही थी तथा उसके लिए बड़े बड़े सम्मान देने की घोषणाएं भी हो रहीं थी. मीडिया का एक बड़ा दल भी आज उसका साक्षात्कार लेने आ रहा था. इसी सिलसिले में वह बहादुर अफ़सर तैयारियों का जायजा लेने पहुँचा.

"सब तैयारियां हो गईं?" उसने एक अधीनस्थ से पूछा
"जी सर !"
"क्या किसी ने लाश की शिनाख्त की:"
"नहीं सर, चेहरा इतनी बुरी तरह से क्षत विक्षत हो चुका था कि पहचान असंभव थी"
"क्या कोई उसकी लाश लेने पहुँचा था ?"
"जी नहीं सर"
"ओके !, क्या किसी को इस सिलसिले में कुछ कहना या पूछना है?"
तभी एक कांस्टेबल ने धीरे से उस अधिकारी के कानो में कहा:
"उसकी रिक्शा का क्या करें सर?".     

Views: 1034

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 28, 2012 at 9:46pm

         पुलिस अफसर को मिल गया, दुर्दांत आंतकवादी मार गिराने का सम्मान 

         रिक्शावाले का रिक्शा खड़ा खड़ा, गिना रहा था घरवालों के बुरे दिनमान |
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 28, 2012 at 9:45pm

 

आंतककारी को एनकाउन्तर में मार गिराने का पुरष्कार प्राप्त करने वाले 
पुलिस अफसरों की पोल खोलती सटीक लागु कथा पाठक के मन में गहरी 
छाप छोड़ने वाली है | थोड़े से शब्दों में साहित्यकार का धर्म निभाने का 
प्रभावी माध्यम की सार्थकता परिलक्षित हो रही है | हार्दिक बधाई स्वीकारे |

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on April 28, 2012 at 9:19pm

सादर साभार आदरणीय भ्रमर जी 


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on April 28, 2012 at 9:18pm

धन्यवाद मोनिका जी

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 28, 2012 at 9:16pm

आदरणीय योगराज जी एक कडुवे सच को उकेरता आप का ये लेख  दिल को छू गया कितने एन्कावुनटर यही दिखाते हैं ....भ्रमर५ 

Comment by Monika Jain on April 27, 2012 at 10:25pm

Aatankvaad par likhi aapki Laghukatha padi sachmuch atulniy hai aaj ke samay ka bhayavay sach jisme Mazdoor aur aam aadmi k liye koi jagah nahi hai.

Monika


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on April 27, 2012 at 4:21pm

वंदना जी, आभार.


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on April 27, 2012 at 4:21pm

सादर धन्यवाद आदरणीय अरुण भाई जी.

Comment by Er. Ambarish Srivastava on April 27, 2012 at 12:06pm

स्वागत है आदरणीय !

Comment by Abhinav Arun on April 27, 2012 at 11:21am

आदरणीय श्री संपादक महोदय !! इस लघुकथा के लिए हार्दिक साधुवाद | आज की व्यवस्था की पोल खोलती इस कथा के ज़रिये आपने आईना दिखाने का कार्य किया है || अपनी पीठ थपथपाने के लिए ये महकमा क्या क्या करता है यह छुपता थोड़े ही है |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
22 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service