For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - ये जो खंडरों सा मकान है

11212    11212

इसी में तो मेरा जहान है

ये जो खंडरों सा मकान है

यूँ ही बोलने से बचा करें

यूँ कि तुंद-ख़ू ये ज़बान है

नया खून है वो है जोश में

अभी ज़िंदगी में उफान है

न है आसमाँ न है तू ज़मीं

तुझे ख़ुद पे कितना गुमान है

तेरी जाति क्या है बिसात क्या

तेरा ज़िस्म ख़ाक समान है

न क़ुसूर कोई 'तमाम' अब

न बची उमंग न जान है

मौलिक व अप्रकाशित

(आज़ी तमाम) 

Views: 138

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Aazi Tamaam on March 6, 2024 at 2:47pm

बहुत बहुत शुक्रिया आ धामी सर ग़ज़ल पर आपकी बधाई के लिए 🙏

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 2, 2024 at 6:45pm

आ. भाई आजी तमाम जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।

Comment by Aazi Tamaam on January 25, 2024 at 11:05am

आ श्याम जी सहृदय शुक्रिया ग़ज़ल पर बधाई के लिए 🙏

Comment by Aazi Tamaam on January 25, 2024 at 11:04am

आ निलेश जी ग़ज़ल पर आपकी नज़र ए करम हुई बेहद शुक्रिया 🙏

Comment by Shyam Narain Verma on January 25, 2024 at 10:59am
नमस्ते जी, बहुत ही उम्दा प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर
Comment by Nilesh Shevgaonkar on January 25, 2024 at 10:54am

आ. आज़ी भाई 
अच्छी ग़ज़ल हुई है. बधाई स्वीकार करें 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' जी, आप जैसे शायर से बधाई पाकर प्रोत्साहन मिला। हार्दिक धन्यवाद।"
27 minutes ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"//मतले की शुरुआत आपने बस शब्द से की है जबकि बस शब्द की मात्रा 2 हाती है। बस शब्द को लघु भी नहीं…"
27 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय संजय शुक्ला जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
31 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय संजय शुक्ला जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
32 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय मिथलेश जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
33 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय रिचा यादव जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
34 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय कपूर साहब, मैं ग़ज़ल अभी सीख रहा हूँ। इसलिए आप मेरे प्रश्न को आलोचना कृपया न समझे। मै अपना…"
40 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय नादिर ख़ान जी आदाब। अच्छी ग़ज़ल कही आपने। बधाई स्वीकार करें। बहुत क़रीब था मंज़िल के मैं तभी…"
48 minutes ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"जनाब तिलक राज कपूर जी आदाब, एक मुद्दत के बाद आपको तरही मुशाइरे में देख कर ख़ुशी हुई । तरही मिसरे पर…"
59 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय Tilak Raj Kapoor जी आदाब। तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही आपने। बधाई स्वीकार करें।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय संजय शुक्ला जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। सादर"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service