For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दिन ढला तो शाम हुई, शाम ढली तो रात,
रात जो आई तो ख़ुश हुए, चाँद और तारे हज़ार||

तारे बोले ऐ चाँद, 
तरसते रहते दिनभर, हम तेरे दीदार को,
पर सूरज भैया को कैसे धमकाएँ,
राज करते धरती और आसमान पर जो||

दिनभर यही सोचते हैं हम कब यह सूरज जाएगा, 
और हमें लाखों तारों की एक अप्सरा 
चाँद का दीदार हो पाएगा||


सबसे ज़्यादा जलन हमको इस धरती  से है,

जो पास हमेशा तुम्हारे होती है,

अपने इशारों पर तुमको वो, रोज़ यूँ ही घुमाती है||

यूँ तो लाखों चाहने वाले होंगे तुम्हारे इस धरती पर,

पर हम भी कुछ कम नहीं जो जो लटका करते,
हमेशा इस आकाश पर||


एक तारा कहता है,
हम भी तो सितारे हैं, चमकना काम हमारा है;
पर चाँद तेरी बात तो कुछ और ही है, तेरी भोली सी कोमल-सी जो कशिश है इसे महसूस कर
टिमटिमाता हर एक सितारा है||

अभी तो तेरी शीतल मंदाकिनी में डूबे ही थे की बस दिन के आने का समय हो गया, 

रात ने दिन का स्वागत किया और विदाई ली||

हम तो यूँ ही लटके रहेंगे तेरे इंतज़ार में,
तू आना ज़रूर शाम होने के बाद अपने उसी एहसास में.||

मौलिक व् अप्रकाशित

Views: 528

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pratibha Pandey on August 16, 2019 at 4:18pm

आदरणीय समर कबीर सर जी हार्दिक आभार ,आपको "चाँद सितारे " पसंद आयी बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by Pratibha Pandey on August 16, 2019 at 4:16pm

आदरणीय लक्ष्मण जी हार्दिक आभार 

Comment by Samar kabeer on August 16, 2019 at 11:36am

मुहतरमा प्रतिभा पाण्डेय जी आदाब,अच्छी कविता लिखी आपने,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 16, 2019 at 11:07am

आ. प्रतिभा बहन उत्तम रचना हुई है । हार्दिक बधाई।

Comment by Pratibha Pandey on August 15, 2019 at 5:06pm

आदरणीय विजय निकोरे जी हौसला अफजाही के लिए हार्दिक आभार 

Comment by vijay nikore on August 14, 2019 at 1:34pm

आपकी कविता बहुत ही अच्छी लगी। हार्दिक बधाई, आदरणीया प्रतिभा जी।

Comment by Pratibha Pandey on August 10, 2019 at 10:12pm

प्रणाम आदरणीय सुशिल सरना जी ,"चाँद सितारे " सृजन की हौसला अफजाही के लिए तहे दिल से धन्यवाद ,आभार 

Comment by Sushil Sarna on August 10, 2019 at 5:29pm

वाह आदरणीया जी वाह आपके सृजन की ये शैली खूब मन भायी। आपसी वार्ता के रूप में सुंदर प्रस्तुति ... हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
2 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service