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चुनौती नए साल

 

नए साल

अब के जो आना

इतिहास के लिए कुछ पन्ने लेते आना

ख़ास मेरे लिए

हालांकि

मैंने कोई बड़ा तीर नहीं मारा



मैंने तो किसी चुनाव को ताने तक नहीं मारे

शतरंज थी तो प्यादे जीते या वजीर क्यों हारे

किसी वादे को वफा की याद भी नहीं कराई

जुमलों की तो हरगिज़ बात तक नहीं उठायी

नहीं पूछा कि किसानों के साथ क्या जला

या कि बेरोजगारी का ग्राफ कितना पला

किसने बिछाई चौपर खेला कैसा जुआ

बैसाखी का रूपया क्यों धराशाई हुआ 

सचमुच ऐसी बात नहीं उठाई कोई

कि सरहद बार बार क्यों इतना रोई



फिर लिखना है क्या क्या लिखाना है

तुमको अगर जरूर ये प्रश्न उठाना है

तो कान में सुनो कि

अंततः मेरे पास एक क्षीण सही पर आवाज़ बाकि है

कि मुझे अभी भी अपनी अस्मिता पर नाज़ बाकि है

यही डर है कि

बस कहीं यही व्यतीत न हो जाए

तुम्हारे पन्नों में अतीत न हो जाए

बस यही है लिखाना

इसलिए कुछ पन्ने लेते आना

ख़ास मेरे लिए

हालांकि

मैंने कोई बड़ा तीर नहीं मारा

..................................................................................................................................

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 448

Comment

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Comment by amita tiwari on January 4, 2019 at 1:16am

आदरणीय  समीर  कबीर  साहब ,सुरेन्द्र नाथ जी ,ब्रजेश जी 

नया साल मुबारिक हो 

आपके प्रोत्साहन के लिए अत्यंत आभारी हूँ 

सादर 

अमिता 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 3, 2019 at 3:08pm

वाह अच्छी रचना महोदया...

Comment by Samar kabeer on January 1, 2019 at 10:28pm

मुहटरमा अमिता तिवारी जी आदाब,अच्छी रचना है,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by नाथ सोनांचली on January 1, 2019 at 8:55pm

आद0अमिता तिवारी जी सादर अभिवादन। अच्छी रचना सृजित की आपने,, बधाई स्वीकार कीजिये

कृपया ध्यान दे...

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