For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (छिपा बैठा चितेरा है)

दिखे हरसूँ अँधेरा है

कहाँ जाने सवेरा है

 

नहीं दिखता कहीं रस्ता

कुहासा है घनेरा है

 

हुनर सीखें नए कैसे

गुरु बिन आज चेरा है

 

चुराता जा रहा साँसें

समय है या लुटेरा है

 

बनाता है जो इंसा को

ये जीवन वो ठठेरा है

 

नहीं शिकवा है साँपों से

डसे जाता सपेरा है

 

नहीं घर रास है मुझको

दिलों में ही बसेरा है

 

तेरा क्या और क्या मेरा

चले माया का फेरा है

 

भरे हैं रंग दुनिया में

छिपा बैठा चितेरा है

Views: 456

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PHOOL SINGH on December 13, 2018 at 4:53pm

सुंदर गजल,  हार्दिक बधाई 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 12, 2018 at 4:51pm

आ. भाई अजय जी, सुंदर गजल हुयी है । हार्दिक बधाई । बाकी त्रुटियों के विषय में आ. समर जी बता ही चुके हैं । शेष शुभ शुभ...

Comment by अजय गुप्ता 'अजेय on December 12, 2018 at 2:41pm

उपरोक्त रचना #मौलिक है। अप्रकाशित नहीं। मेरी पुस्तक रंगोली में प्रकाशित हो चुकी है। ब्लॉग के लिए भी इस शर्त का मुझे पता नहीं था तो ऐसे भूलवश डाल दी। आगे से ध्यान रहेगा। इस रचना को यदि प्रबंधन चाहे तो हटा सकता है।

सादर

Comment by TEJ VEER SINGH on December 12, 2018 at 11:01am

हार्दिक बधाई आदरणीय अजय गुप्ताजी।बेहतरीन गज़ल ।

नहीं शिकवा है साँपों से

डसे जाता सपेरा है

Comment by Samar kabeer on December 11, 2018 at 10:36pm

जनाब अजय गुप्ता जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

सबसे पहली बात ये कि आपने मंच के नियमानुसार मौलिक व अप्रकाशित नहीं लिखा है ।

दिखे हरसूँ अँधेरा है'

इस मिसरे में 'हरसूँ' को "हरसू" कर लें ।

' कुहासा है घनेरा है'

इस मिसरे को यूँ कर लें:-

"कुहासा भी घनेरा है'

' नहीं घर रास है मुझको'

इस मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर है,यूँ कर लें:-

''नहीं है रास घर मुझको"

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
5 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
18 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
yesterday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  रीति शीत की जारी भैया, पड़ रही गज़ब ठंड । पहलवान भी मज़बूरी में, पेल …"
yesterday
आशीष यादव added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला पिरितिया बढ़ा के घटावल ना जाला नजरिया मिलावल भइल आज माहुर खटाई भइल आज…See More
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service