For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

डिजिटल स्ट्रेन्थ़ (लघुकथा) /शेख़ शहज़ाद उस्मानी

पार्क में योग करने के पश्चात जोशी जी मेहता बाबू के बगल में बैठते हुए बोले- "भैया, इस क़ुदरती माहौल में योग करके तो धन्य हो गया! बीमारियों से मुक्ति पा कर ख़ुद को जवां सा महसूस करता हूँ!"

"हाँ जोशी जी, सुबह-शाम यहाँ आ कर मैं भी एक अद्भुत शक्ति हासिल कर तनाव मुक्त हो जाता हूँ!"

फिर पास ही बैठे ,स्मार्ट फ़ोनों पर आँखें गढ़ाये दो युवकों की तरफ़ देख कर वे बोले- "तरस तो इन पर आता है कि इन पर अद्भुत बुढ़ापा आ रहा है!"

"बुढ़ापा!"

"हाँ बुढ़ापा ! कम उम्र में शक्ति और बुद्धि का ह्रास! डिजिटल स्ट्रेन्थ ने इनकी शारीरिक और मानसिक शक्ति क्षीण कर दी है!" मेहता बाबू ने अपने सिर के पास तर्जनी घुमाते हुए कहा- "देखिये इनकी बुद्धि! प्रकृति के नज़दीक़ होते हुए भी फोटो उतारकर डिजिटल तस्वीरें देख कर ख़ुश हो रहे हैं! न योग और न कोई व्यायाम, बस मोबाइल से काम!"

"भैया, अपने स्वामी विवेकानंद जी ने देश के युवाओं में मौजूद जिस शक्ति की बात कही थी न, वह डिजिटल हो गई है....और परदेसी भी!" -जोशी जी ने ज़ोर से हँसते हुए कहा।

युवक वहां से उठकर दूसरी तरफ़ चले गए।


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 580

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on June 29, 2017 at 6:33am
मेरी इस लघुकथा के अनुमोदन व हौसला अफजाई के लिए सादर हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी व आदरणीय गिरिराज भंडारी जी।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 25, 2017 at 12:24am

आदरणीय उस्मानी जी, अपने शीर्षक को सार्थक करती बढ़िया लघुकथा लिखी है आपने. हार्दिक बधाई. सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 24, 2017 at 9:25pm

आ. शेख शहज़ाद भाई , अच्छी लगी आपकी लघुकथा  , हार्दिक बधाइयाँ आपको ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 24, 2017 at 6:27pm
बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरमा सीमा मिश्र साहिबा रचना के अवलोकन व हौसला अफ़ज़ाई हेतु।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 22, 2017 at 9:23pm
आपकी हौसला अफ़ज़ाई बेहतर लिखने की प्रेरणा देती है। तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम जनाब समर कबीर साहब।
Comment by Samar kabeer on January 22, 2017 at 1:54pm
जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,बढ़िया लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 21, 2017 at 3:36pm
मैं अपनी टिप्पणी को एडिट करता हूँ तो पिछली टिप्पणियाँ भी डिलीट हो जाती हैं। कृपया मंच संचालक महोदय मार्गदर्शन करें, क्या त्रुटि या तकनीकी गड़बड़ी हुई है। यहाँ आदरणीय डॉ. आशुतोष मिश्रा जी की टिप्पणी स्वतः डिलीट हो गई, जबकि मैं अपनी टिप्पणी डिलीट कर संशोधित कर रहा था!
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 21, 2017 at 3:33pm
मेरी इस ब्लोग पोस्ट पर समय देकर अनुमोदन करने व हौसला अफ़ज़ाई हेतु सादर हार्दिक धन्यवाद आदरणीय डॉ. आशुतोष मिश्रा जी। पहले मैं यह सोच रहा था कि इस लघुकथा को ओबीओ गोष्ठी-22 के विषय- 'ढहते क़िले का दर्द' के तहत प्रस्तुत करूँ!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)

1222 1222 122-------------------------------जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी मेंवो फ़्यूचर खोजता है लॉटरी…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सच-झूठ

दोहे सप्तक . . . . . सच-झूठअभिव्यक्ति सच की लगे, जैसे नंगा तार ।सफल वही जो झूठ का, करता है व्यापार…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

बालगीत : मिथिलेश वामनकर

बुआ का रिबनबुआ बांधे रिबन गुलाबीलगता वही अकल की चाबीरिबन बुआ ने बांधी कालीकरती बालों की रखवालीरिबन…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय सुशील सरना जी, बहुत बढ़िया दोहावली। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर रिश्तों के प्रसून…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रस्तुति की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. यहाँ नियमित उत्सव…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, व्यंजनाएँ अक्सर काम कर जाती हैं. आपकी सराहना से प्रस्तुति सार्थक…"
Sunday
Hariom Shrivastava replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सूक्ष्म व विशद समीक्षा से प्रयास सार्थक हुआ आदरणीय सौरभ सर जी। मेरी प्रस्तुति को आपने जो मान…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सम्मति, सहमति का हार्दिक आभार, आदरणीय मिथिलेश भाई... "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"अनुमोदन हेतु हार्दिक आभार सर।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति, स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत आभार।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ सर, आपकी टिप्पणियां हम अन्य अभ्यासियों के लिए भी लाभकारी सिद्ध होती रही है। इस…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार सर।"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service