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ज़ंग .....

गलत है
मिथ्या है
झूठ है

कि 

उदासी
अकेलेपन की दासी है

अकेलेपन के किनारों पर
नमी का अहसास होता है
क्या अकेलापन
अंतस का
दर्द से
परिचय कराने का पर्याय है ?

जब कुछ नहीं होता
तो अकेलापन होता है
अकेलेपन में
स्व से परिचय होता है
अपने वज़ूद से
पहचान होती है
ज़िदंगी करीब आती है
अपना पराया समझाती है
अकेलेपन में
पीछे छूटे लम्हात
साथ निभाते हैं
खुद के अधूरेपन को
पूर्णता का अहसास कराते हैं
लोग व्यर्थ ही
अकेलेपन से घबराते हैं
अरे अकेलापन
कोई श्राप नहीं
ये तो
स्वयं को स्वयं से मिलाने का
अनूठा वरदान है
अकेलेपन की कंदरा में
सृजन का सागर है
प्यार के अमृत की
अनछुई गागर है
अकेलेपन को जो
जीना सीख लेते हैं
वो
ज़िन्दगी की
हर ज़ंग जीत लेते हैं

सुशील सरना
मौलिक एवम अपरकाहित

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Comment

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Comment by Sushil Sarna on December 21, 2016 at 8:49pm

आदरणीय  मिथिलेश वामनकर जी प्रस्तुति के भावों को अपनी आत्मीयता से अलंकृत करने का हार्दिक आभार।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 20, 2016 at 11:34pm

आदरणीय सुशील सरना सर, अकेलेपन को परिभाषित करती बहुत बढ़िया भावाभिव्यक्ति. हार्दिक बधाई. सादर 

Comment by Sushil Sarna on December 19, 2016 at 4:45pm

आदरणीय समर कबीर साहिब प्रस्तुति के भावों को अपनी सूक्ष्म समीक्षा से अलंकृत करने का हार्दिक आभार। भावों के बारे में आपके वक्तव्य से मैं पूर्णतः सहमत हूँ।  ये तो बस एक भाव आया तो उसे रचना का रूप दे दिया। बाकी आपके सुझाव का दिल से आभार। .. मुझे में के स्थान पर को अधिक प्रभावशाली प्रतीत हो रहा है। आपके आत्मीय सुझाव सदा मेरे सृजन को सशक्त रूप प्रदान करते हैं। पुनः आपका हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on December 19, 2016 at 4:39pm

आदरणीय    Mahendra Kumar  जी प्रस्तुति आपकी आत्मीय प्रशंसा से उपकृत हुई   ... हार्दिक आभार। 

Comment by Samar kabeer on December 18, 2016 at 8:27pm
जनाब सुशील सरना साहिब आदाब,अकेलेपन पर बहुत सुंदर कविता लिखी आपने,लेकिन अकेलापन भी कई तरह का होता है,ज़रूरी नहीं कि आदमी लोगों से कट कर अकेला हो,कभी कभी आदमी बड़ी भीड़ में भी अकेलापन महसूस करता है,बहरहाल अच्छी लगी आपकी कविता और ख़ासकर ये पंक्ति जो कविता का सार है"अकेलेपन को जो जीना सीख लेते हैं,वो ज़िन्दगी की हर जंग जीत लेते हैं"अकेलेपन को की जगह अगर "अकेलेपन में"करना उचित होगा क्या ?
इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Mahendra Kumar on December 18, 2016 at 11:00am
अकेलापन एक बहुत बड़ी समस्या है। इसे रचनाकर्म का विषय बनाने और उस पर अच्छी कविता लिखने के लिए आपको दिल से ढेरों बधाई आदरणीय सुशील सरना जी। सादर।

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