For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हिन्दी दिवस पर दो कुकुभ छंद एक ताटंक

कुकुभ छंद -२

देश की एकता, अखण्डता, सबकी वाहक है हिंदी

भाव, विचार, पूर्णता, संस्कृति, सभी का प्रतिरूप हिंदी |

आम जन की मधुर भाषा है, भारत को नई दिशा दी

है विदेश में भी यह अति प्रिय, लोग सिख रहे हैं हिंदी ||

सहज सरल है लिखना पढ़ना, सरल है हिन्द की बोली

संस्कृत तो माता है सबकी, बाकी इसकी हम जोली |

हिंदी में छुपी हुई मानो, आम लोग की अभिलाषा  

जोड़ी समाज की कड़ी कड़ी, हिंदी जन-जन की भाषा ||

ताटंक -१

देश की होगी उन्नति तभी, जब उन्नत होगी हिंदी

कन्याकुमारी से श्रीनगर, जब बोली होगी हिंदी |

अनेकता और एकता का, स्वर उठाती यही हिंदी

प्रेम और सौहाद्र का अलग, दूजा नाम यही हिंदी ||

मौलिक और अप्रकाशित 

Views: 605

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 15, 2016 at 7:28pm
आदरणीय श्री कालीपद जी सुन्दर एवं भावप्रद रचना के लिए हार्दिक बधाई । बाकी आदरणीय श्री सौरभ पांडेय जी के मार्गदर्शन पर ध्यान दीजिएगा।सादर ।
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 15, 2016 at 4:55pm

छंद के भाव अति सुन्द है श्री कालीपद  जी, पर लय का अभाव दिख रहा है जैसा कि आदरणीय सौरभ जी ने भी बताया है |

हार्दिक बधाई आपको  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 15, 2016 at 4:33pm

आदरणीय कालीपद जी, आप छ्न्दों में मात्राओं की गिनती के अलावा शब्द-संयोजन पर भी अभ्यास कर रहे हैं. यहाँ इसकी बहुत कमी दिखी है और तुकान्तता के प्रति कृपया समझ विकसित कीजिये. छायावाद के ज़माने से पद्य-विधाओं के नियम अधिक ससे होने चाहिए. 

सादर शुभकामनाएँ 

Comment by Samar kabeer on September 15, 2016 at 3:52pm
जनाब कालीपद प्रसाद मंडल जी आदाब,बहुत बढ़िया लगे आपके छन्द,मुझे इसके बारे में जानकारी नहीं है सीखने का प्रयास कर रहा हूँ,दिल से बधाई स्वीकार करें इस प्रस्तुति पर ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई आदरणीय रिचा जी बधाई स्वीकार करें"
25 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई आदरणीय मिथिलेश जी बधाई स्वीकारें"
26 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"इस ज़र्रा नवाज़ी का सहृदय शुक्रिया आदरणीय धामी सर"
30 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"इस ज़र्रा नवाज़ी का सहृदय शुक्रिया आदरणीय"
31 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आपके मंच के बेहद महान आदरणीय सदस्य सौरभ जी में ये अहं नहीं तो और क्या है_ 1  समर साहब से तीन…"
36 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए आभार। इंगित मिसरे पर…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई आजी तमाम जी , सुंदर गजल हुई है हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"बेहद दिलकश ग़ज़ल ! शानदार! ढेरो दाद।"
1 hour ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"//आपको फिलहाल कोई ऐसी किताब पढ़नी चाहिए जो आपका अहं कम कर सके//  आज़ी तमाम महोदय ! इस…"
1 hour ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"//उसकी तारीफ़ में जो कुछ भी ज़ुबां मेरी कहेउसको दरिया-ए-मुहब्बत की रवानी लिखना// वाह! नयापन है इस…"
2 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी ! अच्छी ग़ज़ल से मुशाइरा आरंभ किया आपने। बहुत बधाई! // यूँ वसीयत में तो बेटी…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हर कहानी को कई रूप रुहानी लिखना जाविया दे कहीं हर बात नूरानी लिखना मौलवी हो या वो मुल्ला कहीं…"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service