For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चूम आये हम गुलाब-ग़ज़ल

2122 2122 2122 212(1)
2122 2122 2122 212

ज़िद थी उनको चूमने की, चूम आये हम गुलाब।
पाक वो भी रह गये, औ हो न पाये हम ख़राब।।

थी ये ख़्वाहिश रात भर आगोश में उनके रहें।
चाँदनी बिखरी रही, शब भर रहा छत पर शबाब।।

कौन कहता जिस्म का मिलना ही पाना है मियाँ।
कौन मीरा का किशन था, पा गया मैं भी जवाब।।

धड़कनों में उसकी सरगम, और ख़्शबू साँस में।
देखिये चेहरे पे मेरे कैसा उसका है रुआब।।

प्यास थी इक जो महल में ख़त्म होती थी नहीं।
घूमने निकले जो बाहर तो मिटी जाकर जनाब।।

मौलिक-अप्रकाशित

Views: 666

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on July 2, 2016 at 5:03pm
आदरणीय सौरभ सर सादर प्रणाम, इस प्रगति में आपका पूर्ण सहयोग है और ओबीओ तो मेरी पाठशाला ही है।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 2, 2016 at 4:23am

वाह वाह ! आपकी ग़ज़ल भली लही भाई पंकज जी. मात्रिक बहर के अलावा भी आप मिसरे साध रहे हैं, यह प्रसन्नता की बात है.  

शुभेच्छाएँ

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on June 27, 2016 at 9:06pm
आदरणीय गिरिराज सर सादर प्रणाम और आभार
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on June 27, 2016 at 9:06pm
आदरणीय श्याम नारायण वर्मा सर सादर आभार
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on June 27, 2016 at 9:04pm
आदरणीय धर्मेन्द्र जी बहुत बहुत आभार

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 27, 2016 at 2:42pm

आदरनीय पंकज भाई , बहुत बढ़िया गज़ल हुई है , दिले से बधाइयाँ आपको । आ. अशोक भाई  की सलाह उचित है !

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on June 27, 2016 at 2:17pm
आदरणीय महेंद्र जी सादर आभार।
Comment by Shyam Narain Verma on June 27, 2016 at 11:01am
बहुत खूब ॥ आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥
Comment by Mahendra Kumar on June 27, 2016 at 9:05am
उम्दा ग़ज़ल आदरणीय पंकज जी! हार्दिक बधाई!!
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on June 27, 2016 at 9:02am
आदरणीय हर्ष महाजन जी सादर आभार और समुचित अभिवादन

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
11 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service