For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ख़िज़ाओं का नहीं होता दरख़्तों पर असर कोई (ग़ज़ल)

1222 1222 1222 1222

गया है सींचकर जो बाग़-ए-दिल को, इक नज़र कोई
ख़िज़ाओं का नहीं होता दरख़्तों पर असर कोई

दिलों के दरमिया इक़रार कोई हो गया था,पर
न थी उनको ख़बर कोई, नहीं मुझको ख़बर कोई

मुक़द्दर हर किसी पे मेह्रबां होता नहीं यारो
कहीं क़दमों में है मंज़िल, भटकता दर-ब-दर कोई

भरोसा है हमें चारागरी पर हद से भी ज़्यादा
मरीज़-ए-इश्क़ पालेगा न मर्ज़ अब उम्र-भर कोई

सियासत खून पीने की बड़ी शौक़ीन लगती है
छुड़ा पाता ये चस्का खून का ऐ काश अगर कोई

तड़पकर-चीखकर इंसानियत, है आज मरणासन्न
कोई देता नहीं क्यों,दे ही दे अब तो ज़हर कोई

ख़लिश-कांटो भरी है, जो डगर जाती ख़ियाबां तक
न राह-ए-क़ामयाबी है अब इससे मुख़्तसर कोई
================================

जयनित कुमार मेहता
(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 910

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on February 23, 2016 at 1:44pm

बहुत ख़ूब जयनित साहब, अच्छी ग़ज़ल हुई है। दाद कुबूल करें।

Comment by जयनित कुमार मेहता on February 9, 2016 at 9:49pm
आदरणीय मुकेश श्रीवास्तव जी, बहुत-बहुत आभार प्रकट करता हूँ आपके प्रति।।
Comment by जयनित कुमार मेहता on February 9, 2016 at 9:16pm
जनाब सालिम शेख साहब, बहुत बहुत आभार आपका।।
Comment by जयनित कुमार मेहता on February 9, 2016 at 9:06pm
आदरणीय केवल प्रसाद जी,हृदय से आभारी हूँ आपका।।
Comment by जयनित कुमार मेहता on February 9, 2016 at 9:04pm
आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी,
आपकी सराहनात्मक प्रतिक्रिया से मेरा लिखना सार्थक हुआ।
आशीर्वाद बना रहे आपका।।
Comment by जयनित कुमार मेहता on February 9, 2016 at 9:01pm
आपका सदैव स्वागत है आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब।।
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on February 6, 2016 at 8:24am

''तड़पकर-चीखकर इंसानियत, है आज मरणासन्न
कोई देता नहीं क्यों,दे ही दे अब तो ज़हर कोई''    क्या बात है.....बहुत ही धारदार गज़ल के लिये दाद कुबूल फरमाएं. जयनित भाई जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 6, 2016 at 1:30am

भाई मज़ा आ गया ! 

दाद दाद दाद !!

आपके हौसले की दाद देता हूँ ! 

दिलों के दरमिया इक़रार कोई हो गया था,पर
न थी उनको ख़बर कोई, नहीं मुझको ख़बर कोई

कमाल !

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 5, 2016 at 9:43pm

जनाब रवि साहिब और जयनित   कुमार साहिब ,  अलिफ़ -वस्ल के नियम को मैं शायरी में कम ही इस्तेमाल करता हूँ / उसके हिसाब से मिसरे  बह्र में हैं। ...... शुक्रिया

Comment by जयनित कुमार मेहता on February 5, 2016 at 9:02pm
आदरणीय समर कबीर जी,
अब से उर्दू शब्दों का प्रयोग करते समय सावधानी बरतूंगा..
आपकी बात से पूर्णतः सहमत हूँ,शुक्रिया।।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीया प्राची दीदी जी, आपको नज़्म पसंद आई, जानकर खुशी हुई। इस प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपके प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा में हैं। "
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आभार "
16 hours ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय, यह द्वितीय प्रस्तुति भी बहुत अच्छी लगी, बधाई आपको ।"
16 hours ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह आदरणीय वाह, पर्यावरण पर केंद्रित बहुत ही सुंदर रचना प्रस्तुत हुई है, बहुत बहुत बधाई ।"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर आभार।"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन कुंडलियाँ छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई तिलक राज जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह से लेखन को पूर्णता मिली। हार्दिक आभार।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई सुरेश जी, हार्दिक धन्यवाद।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई गणेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
17 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service