For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बात वही गंदी जो सब पर थोपी जाती है (ग़ज़ल)

बह्र : २२ २२ २२ २२ २२ २२ २

 

अच्छी बात वही जिसको मर्जी अपनाती है

बात वही गंदी जो सब पर थोपी जाती है

 

मज़लूमों का ख़ून गिरा है, दाग न जाते हैं

चद्दर यूँ तो मुई सियासत रोज़ धुलाती है

 

रोने चिल्लाने की सब आवाज़ें दब जाएँ

राजनीति इसलिए प्रगति का ढोल बजाती है

 

फंदे से लटके तो राजा कहता है बुजदिल

हक माँगे तो, जनता बद’अमली फैलाती है

 

सारा ज्ञान मिलाकर भी इक शे’र नहीं होता

सुन, भेजे से नहीं, शाइरी दिल से आती है

 --------------------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 526

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on February 2, 2016 at 4:16pm
शुक्रिया आदरणीय मिथिलेश जी
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on February 2, 2016 at 4:16pm
शुक्रिया आदरणीय लक्ष्मण धामी जी
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on February 2, 2016 at 4:15pm
शुक्रिया जनाब समर साहब
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on February 2, 2016 at 4:15pm
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय तेज वीर जी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 20, 2016 at 12:03am

आदरणीय बड़े भाई धर्मेन्द्र जी, बहुत बेहतरीन ग़ज़ल कही है. दाद ओ मुबारकबाद हाज़िर है.

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 19, 2016 at 6:12am

बहुत खूब आ० भाई धमेन्द्र जी ..हार्दिक बधाई l

Comment by Samar kabeer on January 18, 2016 at 10:37am
जनाब धर्मेन्द्र कुमार जी आदाब,बहुत शानदार ग़ज़ल से नवाज़ा है आपने मंच को,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं |
तीसरे शैर का सानी मिसरा लय में नहीं लगता,देख लीजियेगा |
Comment by TEJ VEER SINGH on January 18, 2016 at 9:54am

हार्दिक बधाई आदरणीय धर्मेंद्र कुमार सिंह जी!बहुत शानदार गज़ल!आज के सियासती माहौल पर बेहतरीन कटाक्ष!पुनः बधाई!

इतने नांदां तो नहीं हम भी कि तेरी बात ना समझे,

कुछ बातें इल्म से नहीं, अनुभव से समझी जाती हैं!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी सहृदय शुक्रिया आदरणीय इस मंच के और अहम नियम से अवगत कराने के लिए"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आपका सुधार श्लाघनीय है। सादर"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। सादर"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। सादर"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय इस मंच पर न कोई उस्ताद है न कोई शागिर्द। यहां सभी समवेत भाव से सीख रहे हैं। यहां गुरु चेला…"
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई आदरणीय रिचा जी बधाई स्वीकार करें"
4 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service