For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघु कथा मट्ठियाँ

अम्मा  फ़ैल कर  जमीन पर   बैठी  आवाज़  करके  चाय  सुड़क  रही  थी I  मैं  अपने  दोनों  बच्चों  के  चेहरों  पर,  अम्मा  को  लेकर चिढ      साफ़  देख  पा  रही  थी I

" सविता  , तू  डब्बा भर के  मट्ठियाँ  क्यों  नहीं  बना  के  रख लेती ,I  सुबह  शाम  पकड़ा  दिया कर इनके हाथों में I दिन  भर  तंग  करते  हैं ये बना  वो  बना I"

" माँ , इन्हें  पसंद  नहीं  है मट्ठियाँ I"

" पसंद  नहीं  हैं ? अरे  तुम्हारी  मम्मा  की  बुआ , गर्मी  की छुट्टियों  में  आती  थी , दो  महीने  के  लिए अपने  बच्चों के साथ  ,और  दो  बड़े  बड़े डब्बे  भर  कर , मट्ठियाँ बना  के  लाती  थी  I   सब  बच्चे  वो  ही खाते  फिरे  थे सारे  दिन I,  और  सबसे ज्यादा  खाती   थी , ये  सविता , तुम्हारी  मम्मा "I

" मम्मा ,   वो  सारी  छुट्टियाँ  आप  लोगों  के  साथ  रहते थे i ?  डिस्टर्ब  नहीं  होते  थे  आप लोग i i 

मैं  अम्मा  को  देख रही  थी,  जो  आस पास से  बेखबर  फिर  से  चाय  सुड़कने  में  लग  गई थी ,   सुड़क  ,सुड़क I

  मौलिक  व  अप्रकाशित 

Views: 619

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by amod shrivastav (bindouri) on July 16, 2015 at 10:29pm
हमें भी ठीक लगीलगी बधाई

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 16, 2015 at 10:21pm

अपना ! निजी ! व्यक्तिगत ! एकाकीपन नहीं स्वयं के हिताकांक्षी जीवन-क्षणों का बोध कराते ये शब्द अब व्यवाहारिक भाव का हिस्सा हो चुके हैं. समवेत जीवन जीने को जो समाज दकियानूसी समझने लगे वह भविष्य में अपने लिए अधीरता मोल ले लेता है.
अच्छी लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई. सतत प्रयास से शिल्पगत प्रस्तुतीकरण सुगढ़ होता जायेगा.
शुभेच्छाएँ

Comment by pratibha pande on July 9, 2015 at 2:06pm

कथा की सराहना के लिए आपका आभार , आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी I

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 8, 2015 at 9:10pm

अब तो इतने दिन का मेहमान किसे भायेगा . सारी गर्मी की छुट्टी . बढ़िया कथा .

Comment by pratibha pande on July 8, 2015 at 1:58pm

प्रशंसा  के  लिए धन्यवाद  आदरणीय  जवाहरलाल सिंह जी I एक  प्रश्न  अक्सर  दिमाग में  आता  है कि ' पंच '  शब्द के  लिए   हिंदी  में  कौनसा  सटीक  शब्द हो  सकता  है  I आजकल  हम  अक्सर  इस शब्द का  इस्तेमाल करते हैं I

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on July 7, 2015 at 8:39pm

वाह गजब का पञ्च मारा आपने! बहुत सुन्दर! अपना दिन किसे याद रहता है?

Comment by pratibha pande on July 7, 2015 at 3:05pm

कथा  की  प्रशंसा  के लिए आभार ,आदरणीय  अमन कुमार जी I

Comment by pratibha pande on July 7, 2015 at 3:01pm

कथा  की  सराहना  के लिए  आपका  तहे दिल से आभार  आदरणीय  विनय कुमार जी I

Comment by pratibha pande on July 7, 2015 at 2:48pm

 मैंने  त्रुटी  ठीक  कर  ली है I कथा  की  प्रशंसा के  लिए धन्यवाद  आदरणीय  मिथिलेश  वामनकर  जी I 

Comment by aman kumar on July 6, 2015 at 2:06pm

सत्य घटना  का वर्णन सी कथा है , अति सुंदर !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  ______ जगमग दीपों वाला उत्सव,उत्साहित बाजार। जेब सोच में पड़ी हुई है,कैसे पाऊँ…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"चार पदों का छंद अनोखा, और चरण हैं आठ  चौपाई औ’ दोहा की है, मिली जुली यह ठाठ  विषम…"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद * बम बन्दूकें और तमंचे, बिना छिड़े ही वार। आए  लेने  नन्हे-मुन्ने,…"
13 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
" प्रात: वंदन,  आदरणीय  !"
18 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद : रौनक  लौट बाजार आयी, जी   एस   टी  भरमार । वस्तुएं …"
18 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम..."
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Oct 13

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Oct 13

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Oct 12

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service