For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल-नूर-ख़ुदा का ख़ौफ़ करो

१२१२/ ११२२/ १२१२/ २२ (सभी संभव कॉम्बिनेशन्स)

हमें न ऐसे सताओ ख़ुदा
का ख़ौफ़ करो
ज़रा क़रीब तो आओ ख़ुदा का
ख़ौफ़ करो.
.
अभी तो हाथ में आया है मलमली दामन 
अभी न छोड़ के जाओ ख़ुदा का
ख़ौफ़ करो. 
.
न जाने कितने जनम की है तिश्नगी, आकर 
लबों का जाम पिलाओ, ख़ुदा का
ख़ौफ़ करो.
.
करेगा बातें ज़माने में जाने वो क्या क्या
अदू से दिल न लगाओ ख़ुदा का
ख़ौफ़ करो.
.

जनाब आपके ज़ुल्मो की दास्ताँ है तवील  
करम न अपने गिनाओ ख़ुदा का
ख़ौफ़ करो.
.
हुज़ूर हो के ख़फ़ा आप हम से बैठे हैं,
हमीं से मान भी जाओ, ख़ुदा का ख़ौफ़ करो.
.
कभी हमें भी मिले हक़ यूँ रूठ जाने का
कभी हमें भी मनाओ ख़ुदा का ख़ौफ़ करो.
.
ये रात फैल गयी है हमारे अंदर भी
चराग़-ए-इल्म जलाओ ख़ुदा का ख़ौफ़ करो.
.
न जाने आप ग़ज़ल किस की गुनगुनाते हैं
ग़ज़ल हमारी भी गाओ ख़ुदा का ख़ौफ़ करो.
.
नूर 
मौलिक/ अप्रकाशित 

Views: 853

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 20, 2015 at 7:24pm

शुक्रिया सुधीर जी 

Comment by Sudhir Dwivedi on April 20, 2015 at 7:22pm

नीलेश जी 

बहुत खूबसूरत गजल से रूबरू कराने का शुक्रिया !!

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 5, 2015 at 10:30am

शुक्रिया डॉ आशुतोष जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 5, 2015 at 10:30am

शुक्रिया आ. गिरिराज जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 5, 2015 at 10:30am

शुक्रिया भाई उमेश जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 5, 2015 at 10:29am

शुक्रिया आ. मिथिलेश जी 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 4, 2015 at 1:37pm

आदरणीय नूर जी , ग़ज़लों की श्रंखला में एक और बेहतरीन ग़ज़ल ..मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 4, 2015 at 12:23pm

आदरणीय नीलेश भाई , एक और अच्छी गज़ल के लिये दिली मुबारक बाद कुबूल करें ॥

Comment by umesh katara on April 4, 2015 at 8:16am

न जाने कितने जनम की है तिश्नगी, आकर  
लबों का जाम पिलाओ, ख़ुदा का
 ख़ौफ़ करो. वाह वाह


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on April 3, 2015 at 9:03pm

आदरणीय नीलेश जी बेहतरीन और उम्दा ग़ज़ल हुई है. रदीफ़ को जिस खूबसूरती से निभाया है, मुग्ध हूँ देखकर. दिल से दाद कुबूल फरमाएं. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
2 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service