For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चाहिये गंगा नहाना जा नहाते गंदगी में ,

२१२२ २१२२ २१२२ २१२२ - रमल मुसम्मन सालिम
छोड़ कर आतंक का दर नेक कोई काम करते |
जान  लेने  के सिवा सारे जहाँ में नाम करते |
लोग जो आये जहाँ में  चाँदनी सब के लिए है ,
तोड़  घेरा  बादलों का दे  खुशी आराम  करते |
चाहिये    गंगा   नहाना   जा नहाते गंदगी में ,
सादगी का सोच रख कर ही जहाँ में काम करते |
हर पुराणों में लिखा है जीव खुश रह कर चले गा  ,
मात  देना  छोड़  दो जो आह सा  पैगाम करते |
देश दुनिया खुश रहे खुश  लोग सारे  हो  चमन में  ,
लोग ऐसे  ना   मरे मिल मौत को नाकाम करते |
आदमी   ही    आदमी   को   रंज में खा जा रहा है , 
छोड़ वर्मा दानवी पथ सब  खुशी से काम  करते |
श्याम नारायण वर्मा 
(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 704

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shyam Narain Verma on March 19, 2015 at 10:12am

आदरणीय गिरिराज जी , गुमनाम जी , मिथिलेश जी और हरी प्रकाश जी रचना भाव पसंद करने के लिए आप लोगों का बहुत बहुत आभार |
सादर

Comment by Hari Prakash Dubey on March 18, 2015 at 9:20pm

आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सुन्दर ग़ज़ल है , बधाई आपको इस रचना पर ! सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 18, 2015 at 8:50pm

आदरणीय श्याम जी, सुन्दर ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई 

Comment by gumnaam pithoragarhi on March 18, 2015 at 5:33pm
इस सुन्दर प्रभावशाली प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई भाई जी ........

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 18, 2015 at 4:59pm

आदरणीय श्याम भाई , लाजवाब गज़ल हुई है , बहुत सुन्दर संदेश दिया है आपने ! आपको हार्दिक बधाइयाँ , गज़ल के लिये ।

Comment by Shyam Narain Verma on March 18, 2015 at 2:34pm

सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on March 18, 2015 at 1:26pm
वाह बहुत सुन्दर लिखा आपने । सुन्दर सन्देश देती रचना संग्रहनीय लगी
Comment by Shyam Narain Verma on March 18, 2015 at 12:42pm

आदरणीय ,  रचना भाव पसंद करने के लिए आभार |

सादर।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 18, 2015 at 12:13pm

आओ श्याम नारायण वर्मा जी

बहुत ही सुन्दर प्रयास  .  आपको बधायी .

Comment by Shyam Narain Verma on March 18, 2015 at 11:59am

आदरणीय  श्याम मठपाल जी और आदरणीय सोमेश कुमार जी रचना भाव पसंद करने के लिए आभार |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
20 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service