For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रेम अगन है प्रेम लगन हैं.....

प्रेम अगन है प्रेम लगन हैं.....

प्रेम अगन है प्रेम लगन हैं
प्रेम धरा है प्रेम गगन है
प्रेम मिलन है प्रेम विरह है
श्वास श्वास का प्रेम बंधन है
प्रेम ईश है प्रेम है पूजा
स्मृति घाट का प्रेम मधुबन है
पावन गंगा सा प्रेम समेटे
लिप्त बूंदों में प्रेम नयन है
मौन अधरों में गुन गुन करता
प्रेम में डूबा प्रेम कम्पन है
आत्मसात का भाव समेटे
प्रेम हकीकत प्रेम स्वप्न है
प्रेम अलौकिक अपरिभाषित
हृदय नयन का प्रेम अंजन है
प्रेम तृप्ति है प्रेम प्यास है
मन के बन में प्रेम यौवन है
प्रेम आदि है प्रेम अंत है
इस सृष्टि का प्रेम सृजन है
प्रेम में डूबा हर कण कण है
प्रेम पुष्प है प्रेम चुभन है
प्रेम समर्पण का तपोवन है
प्रेम दीप है प्रेम है मन्दिर
प्रभु चरणों का प्रेम वन्दन है

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 710

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on February 25, 2015 at 6:50pm

आदरणीय गोपाल नरायन श्रीवास्तव  जी रचना पर आपकी  आत्मीय प्रशंसा  का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on February 25, 2015 at 6:48pm

आदरणीय जितेन्द्र पस्टारिया  जी रचना पर आपकी  स्नेहिल प्रशंसा  का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on February 25, 2015 at 6:47pm

आदरणीय ख़ुर्शीद खैरादि  जी रचना पर आपके स्नेहासक्त शब्दों का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on February 25, 2015 at 6:45pm

आदरणीय महृषि त्रिपाठी  जी रचना पर आपकी ऊर्जावान प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on February 25, 2015 at 6:43pm

आदरणीय Pari M Shlok  जी रचना पर आपकी ऊर्जावान प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार। आपने जिस त्रुटि की ओर इंगित किया है उस टंकण त्रुटि को मैंने सुधार लिया है।  इस ओर ध्यान दिलाने का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on February 25, 2015 at 6:41pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी  जी रचना पर आपकी ऊर्जावान प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार। आपके सुझाव का तहे दिल से शुक्रिया किन्तु आदरणीय इसे मैंने स्वतन्त्र अभिव्यक्ति के रूप में प्रस्तुत करनी का प्रयास किया है। मात्रा गणना वाली अभिव्यक्ति फिर कभी   … पुनः आपका हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on February 25, 2015 at 6:36pm

आदरणीय मिथिलेश वामनकर  जी रचना पर आपकी स्नेहिल उपस्थिति का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on February 25, 2015 at 6:35pm

आदरणीय हरी प्रकाश दूबे जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 25, 2015 at 12:11pm

आ० सरना जी

प्रेम के अनेक रूप दर्शाती इस कविता के लिए बधाई  i

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 25, 2015 at 11:18am

प्रेम को सर्वोच्च आयाम देती बहुत सुंदर रचना आदरणीय सरना जी. बहुत बहुत बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service