For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अब भी चेतो मानव मन तू!

कल कल कल कल नदियाँ बहती, झरने गीत सुनाते हैं,

तरु शाखाओं पर छिपकर खग, पंचम सुर में गाते हैं.

गिरि, नद, जंगल, अवनि, पशु सब, सृष्टि के अनमोल रतन,

मानव सबसे बुद्धि शील बन, अपनी राह बनाते हैं.

नदियों की धारा को रोकी, शिखरों को भी ध्वस्त किया,

काटके जंगल, भवन बनाते, अब क्यों वे पछताते हैं.

सीख नहीं कुछ लेते मानव, प्रकृति सब कुछ देख रही,

कभी केदार, कभी कश्मीर में, मानव ही दुःख पाते हैं.  

सेना सीमा की रक्षक है, आपद में करती सेवा,

सरकारें लाचार हुई जब, सेना के गुण गाते हैं.

अब भी चेतो मानव मन तू, सृष्टि का सम्मान करो,

साथ रहो सब हिलमिलकर ही, दुनियां नयी बसाते हैं.    

*********  

(मौलिक व अप्रकाशित)

जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर  

 

Views: 469

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 21, 2014 at 3:13pm

आदरणीय श्री संतलाल करुण जी, सादर अभिवादन!

उत्साह वर्धन के लिए हार्दिक आभार!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 21, 2014 at 3:12pm

आदरणीय श्री पवन कुमार जी, सादर अभिवादन!

प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 21, 2014 at 3:12pm

आदरणीय श्री श्याम नारायण वर्मा जी, सादर अभिवादन!

प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 21, 2014 at 3:11pm

आदरणीय श्री गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी, सादर अभिवादन!

उत्साह वर्धन  के लिए हार्दिक आभार!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 21, 2014 at 3:09pm

आदरणीय श्री विजय शंकर जी, सादर अभिवादन!

प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार!

Comment by Santlal Karun on September 15, 2014 at 9:51pm

आदरणीय जवाहर जी ,

सामयिक और ज्वलंत विषय पर आप ने तात्कालिक विचार प्रधान रचना दी है --

"ना सीमा की रक्षक है, आपद में करती सेवा,

सरकारें लाचार हुई जब, सेना के गुण गाते हैं.

अब भी चेतो मानव मन तू, सृष्टि का सम्मान करो,

साथ रहो सब हिलमिलकर ही, दुनियां नयी बसाते हैं."

...हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ !

Comment by Pawan Kumar on September 14, 2014 at 3:13pm

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ... सादर बधाई !

Comment by Shyam Narain Verma on September 13, 2014 at 10:05am
" सुन्दर भाव पूर्ण रचना के लिये आपको बधाइयाँ .................. "
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 12, 2014 at 11:20am

जवाहर जी

आपकी कविता प्रासंगिक है i

सीख नहीं कुछ लेते मानव, प्रकृति सब कुछ देख रही,

कभी केदार, कभी कश्मीर में, मानव ही दुःख पाते हैं.

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 11, 2014 at 7:10pm
अब भी चेतो मानव मन तू, सृष्टि का सम्मान करो,
साथ रहो सब हिलमिलकर ही, दुनियां नयी बसाते हैं.
सार्थक , सुन्दर। बहुत बहुत बधाई आदरणीय जवाहर लाल सिंह जी .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" जलवायु असंतुलन के दोषी हम सभी हैं... बढ़ते सीओटू लेवल, ओजोन परत में छेद, जंगलों का कटान,…"
1 minute ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आग लगी है व्योम में, कहते कवि 'कल्याण' चहुँ दिशि बस अंगार हैं, किस विधि पाएं त्राण,किस…"
26 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"भाई लक्षमण जी एक अरसे बाद आपकी रचना पर आना हुआ और मन मुग्ध हो गया पर्यावरण के क्षरण पर…"
59 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"अभिवादन सादर।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रदत्त विषय को सार्थक करतीब हुत बढ़िया दोहावली की प्रस्तुति। इस…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आपने पर्यावरण के विभिन्न आयामों को सम्मिलित करते हुए एक बढ़िया प्रस्तुति दी…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रदत्त विषय पर बढ़िया कुंडलिया छंद हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी, प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। इस प्रस्तुति…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"धुंध गहरी और खाई दिख रही है  अब तरक्की में तबाही दिख रही है। बोझ से घायल हुआ सीना जमीं…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"सहर्ष सदर अभिवादन "
14 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, पर्यावरण विषय पर सुंदर सारगर्भित ग़ज़ल के लिए बधाई।"
17 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service