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क्या है जो रोज़ गुनाह करते हो --डा० विजय शंकर

क्या किसी भी सजा से नहीं डरते हो
क्यों रोज़ गुनाह पे गुनाह करते हो
दुनियाँ जहाँन की सब खबर रखते हो
खुद क्या हो बिलकुल बेखबर रहते हो
अपने कर्मों पे नज़र नहीं रखते हो
कौन क्या कर रहा परेशान रहते हो
औरों के खजाने पे नज़र रखते हो
कभी चोरी के नोट अपने गिनते हो
शेर की खाल में गीदड़ नज़र आते हो
घर में आईने बिलकुल नहीं रखते हो
बैसाखियाँ ले कर गुजर बसर करते हो
दौड़ में सबसे आगे हो, दम भरते हो
ईश्वर की दुनियाँ को बहुत बनाते हो
भगवान से बिलकुल भी नहीं डरते हो
क्या है जो रोज़ गुनाह करते हो
किसी भी सजा से नहीं डरते हो

मौलिक एवं अप्रकाशित.
डा० विजय शंकर

Views: 527

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Comment by Dr. Vijai Shanker on August 8, 2014 at 10:12am
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय डॉ o आशुतोष मिश्रा जी ,
Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 8, 2014 at 9:51am

आदरणीय विजय जी ,,,सच में अब किसी को किसी का भय नहीं रहा ,,सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर 

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 31, 2014 at 11:11pm
बहुत बहुत धन्यवाद , आदरणीय आमोद कुमार जी .
Comment by Amod Kumar Srivastava on July 31, 2014 at 9:08pm

बहुत सुंदर ... सच को सहज भाव से अंकित करने के लिए ... सादर ॥ 

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 30, 2014 at 11:26am
सही कहा आपने आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद लाडीवाला जी , यह संस्कार ही हैं जो लुप्त हो रहे हैं और एक हम हैं जो समझ भी नहीं रहे हैं कि हम क्या खो रहे हैं. आपकी शुभ कामनाओं के लिए धन्यवाद .
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 30, 2014 at 11:00am

सच लिखा है आपने साहब, आज का तो शिशु तक नहीं डरता और कालान्तर में फिर किसी की सुनता तक नहीं | दुष्कर्म 

करते भगवान् तक से नहीं डरते, चोरी करते जेल जाने से नहीं डरते | ये सब अच्छे संसकारों का पाठ नहीं पढ़ाने के कारण हो 

रहा है और यही भारतीय संस्कृति के अवमूल्यन का कारण भी | हार्दिक बढ़ा डॉ विजय शंकर जी | सादर 

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 29, 2014 at 11:22pm
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय राजेश कुमारी जी।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 29, 2014 at 10:47pm

सच कहा आज का इंसान किसी चीज से नहीं डरता उसकी फ़ितरत ही बदल चुकी ....विचारणीय प्रस्तुति हेतु बहुत बहुत बधाई आपको डॉ विजय शंकर जी 

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 29, 2014 at 12:13pm
बस शुभकामनाएं और आशीर्वाद बनाये रखिये , आदरणीय गोपाल नरायन जी , सादर।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 29, 2014 at 12:01pm

भाई जी आप भी बस कमाल करते हो

कोई एक बिंदु उठा लेते हो , बस उसे ही शब्दो में नचाते हो  और कुम्हार की तरह कोई पात्र गढ़ लेते हो  i

हुनर है भाई i

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