For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दीवार

आसमां  में कोई सरहद नहीं

फिर धरती को क्यों बाँटा है

ये तो हम और तुम हैं ,जिन्होंने

दिलों को भी दीवार से पाटा है

कहीं नफ़्रत की तो कहीं अहं की

आओ इस दीवार को गिरा कर देखें

कि दिल कितना बड़ा होता है..

****************

महेश्वरी कनेरी

मौलिक /अप्रकाशित

Views: 425

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Satyanarayan Singh on May 3, 2014 at 12:55pm

अति सुन्दर भाव समेटे सार्थक रचना हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया

Comment by coontee mukerji on April 30, 2014 at 1:17am

बहुत  सुंदर....आपको हार्दिक बधाई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 29, 2014 at 5:20pm

सुन्दर भाव , सुन्दर रचना के लिये आपको बधाई , आदरणीया !!

Comment by रमेश कुमार चौहान on April 29, 2014 at 2:25pm

एक सार्थक अभिव्यक्ति, बहुत ही सुंदर आदरणीया बधाई

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 29, 2014 at 1:05pm

कम शब्दों में बहुत कुछ कहकर, एक सार्थक सन्देश देती रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीया माहेश्वरी जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 28, 2014 at 12:37pm

बहुत खूब आदरणीया महेश्वरी जी अच्छी रचना है बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by vijay nikore on April 28, 2014 at 11:22am

//

आसमां  में कोई सरहद नहीं

फिर धरती को क्यों बाँटा है//...........  यह बहुत ही खूबसूरत खयाल है।

 

थोड़े से शब्दों में आपने कितना-कुछ कह लिया, और मार्ग-दर्शन भी किया। हार्दिक बधाई।

 

एक छोटी-सी बात ... नफ़रत और अहं.. इन दो दीवारों को सम्बोधित किया है तो शायद

"आओ इन दीवारों को गिरा कर देंखें" कहना अच्छा लगेगा। पर आप लेखक  हैं, आपका

कोई विशिष्ट कारण हो सकता है इस पंक्ति को एक वचन में रखने का। आशा है मेरे सुझाव

को अनयथा न लेंगे।

 

पुन: बधाई इस अच्छी रचना के लिए।

Comment by savitamishra on April 26, 2014 at 11:59pm

badhiya ...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
14 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service