For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बेटी से खुशनुमा है --नज़्म -सलीम रज़ा

बेटी
बेटी से  खुशनुमा  है  ये  संसार  दोस्तो
रौशन इसी से सारा  है घर-बार  दोस्तो 
.........
बेटी  कही पे माँ  कही  बहना  के  रूप में 
पत्नी  बहु ये बनके  निकलती है  धूप में 
सुब्हे किरन  से शाम तलक घर संवारती 
बच्चो के रूप  रंग  को  हर दम निखारती 
ये तो अजब निभाती  है  किरदार  दोस्तों 
.............
ये सारी  क़ायनात  बदौलत  इसी  से  है 
सारे जहाँ में फैला मोहब्बत  इसी  से है 
चंपा चमेली बनके  चमन में महक रही 
बातों से यूं लगे की है बुलबुल चहक रही 
ये सबको  दे रही है  सदा  प्यार  दोस्तों 
..............
अपने   पती  के  संग  ये  बनवास  में  रही 
जंगल में भूंख प्यास की हर मुश्किलें  सही 
मां  बनके दुआओं से ये जन्नत  दिलाएगी 
इज्जत भी दिलाएगी ये शोहरत दिलाएगी 
इसकी दुआ में खुशियों का अम्बार दोस्तो 
 
सलीम रज़ा 
रीवा  [म. प्र)


मौलिक व अप्रकाशित

Views: 801

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 22, 2014 at 10:20pm

वाह ! एक अच्छी नज़्म हुई है, सलीम रज़ा भाई. बेटियों को लेकर हुई आपकी कोशिश दिल को छू गयी.

दिल से बधाई.

Comment by SALIM RAZA REWA on March 1, 2014 at 9:53pm

 आदरणीय बृजेश नीरज  जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया ..

Comment by बृजेश नीरज on February 28, 2014 at 10:52pm

अच्छी रचना! आपको बहुत बधाई!

Comment by SALIM RAZA REWA on February 26, 2014 at 8:03pm

नादिर ख़ान साहब,

आपकी मुबारकबाद ने दिल को मुहब्बत से तर कर दिया ,,
''खुदा ने मुझे तो बेटी नही दी'' शायद नसीब में नही था /पर तमाम बेटीयों को मेरा नमन....

-और आपका दिली शुक्रिया..

Comment by नादिर ख़ान on February 25, 2014 at 11:31pm

आदरणीय सलीम भाई, क्या ही उम्दा नज़्म है एक ही साँस मे पूरा पढ़ गया और बार बार पढ़ने को जी चाहता है ।

बहुत ही मीठे बोल हैं ।बहुत मुबारकबाद इस बेहतरीन रचना के लिए ...

Comment by SALIM RAZA REWA on February 25, 2014 at 11:17pm
Kalpna ji dili shukriya..
Comment by कल्पना रामानी on February 25, 2014 at 11:06pm

बहुत सुंदर और सार्थक भावपूर्ण रचना आपकी, मन से बधाई

Comment by SALIM RAZA REWA on February 25, 2014 at 8:32pm
GRIRAJ Ji aap badon ka ashirwad Yuan hi banana rahe dili shukriya..

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 25, 2014 at 6:16pm

आदरणीय सलीम भाई , सुन्दर सन्देश देती , लाजवाब नज़्म के लिये आपको कोटिशः बधाइयाँ प्रेषित है, स्वीकार करें ॥

Comment by SALIM RAZA REWA on February 25, 2014 at 6:12pm
Bahan Rajesh kumari ji meri nazm ko apni duaaon se nwaja dili shukriya..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
22 minutes ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
1 hour ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
4 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
6 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
6 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
8 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
10 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान की परिभाषा कर्म - केंद्रित हो, वही उचित है। आदरणीय उस्मानी जी, बेहतर लघुकथा के लिए बधाइयाँ…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service