For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हम है क्या कुछ भी नहीं, ईश अंश ही सार,

मन के भीतर रोंप दे, सद आचार विचार |

 

त्याग और सहयोग का, जिसके दिल में वास

माली जैसा भाव हो, उस पर ही विश्वास |

 

समय नहीं करुणा नहीं, बाते करते व्यर्थ,

भाव बिना सहयोग के, साथी का क्या अर्थ |

 

समीकरण बैठा सके, बहिर्मुखी वाचाल,

संख्या उनके मित्र की, होती बहुत विशाल |

 

घंटों उठते बैठते, कछु न मदद की आस,

समय गुजारे व्यर्थ में, दोस्त नहीं वे ख़ास |

(मौलिक व् अप्रकाशित)

Views: 790

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 6, 2014 at 9:13am

आपकी मुखर और विश्लेस्नात्मक प्रतिक्रया का मै आकांक्षी रहा हूँ आदरणीय श्री सौरभ जी, उत्साहवर्धन के लिए 

तहे दिल से हार्दिक आभार स्वकरे | सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 5, 2014 at 11:25pm

सहयोग, विश्वास और अपकार पर मुखर पाँचों दोहे अति उन्नत हैं आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी.

कथ्य और तथ्य को सुगढ़ शिल्प का आधार मिला है, आदरणीय.

इन पाँचों सफल और निर्दोष दोहा छंदों के लिए हृदय से बधाइयाँ स्वीकारिये. 

सादर

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 5, 2014 at 6:33pm

उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय श्री विजय निकोरे जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 5, 2014 at 6:33pm

आपकी ही प्रतिक्रया की प्रतीक्षा रहती है डॉ प्राची जी | इन प्रस्तावित संशोधन पर कृपया राय से अवगत करावे -

समीकरण बैठा सके...... जोड़ तोड़ बैठा सके 

कछु न मदद की आस...  नहीं मदद की आस

सादर  

Comment by vijay nikore on February 5, 2014 at 12:10pm

इन सुन्दर दोहों के लिए बधाई, आदरणीय लक्ष्मण जी।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 5, 2014 at 10:40am

सुन्दर दोहे आ० लक्ष्मण प्रसाद लड़ीवाला जी 

बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर.

समीकरण बैठा सके...... आरम्भ जगण से हो रहा है

कछु न मदद की आस.......इसमें ज़रा सी गेयता अवरुद्ध है

सादर.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 4, 2014 at 6:49pm

उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार श्री रमेश कुमार चौहान जी 

Comment by रमेश कुमार चौहान on February 3, 2014 at 8:29pm

आदरणीय लक्ष्मणजी , सभी दोहे सुंदर  बन पडे है, सादर बधाई

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 3, 2014 at 6:56pm

हार्दिक आभार आदरणीया कुन्ती मुकर्जी, श्री बृजेश नीरज जी, श्री अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी, श्री विजय मिश्र जी,

एवं श्री राम शिरोमणि पाठक जी 

Comment by ram shiromani pathak on February 3, 2014 at 12:08pm

समय नहीं करुणा नहीं, बाते करते व्यर्थ,

भाव बिना सहयोग के, साथी का क्या अर्थ |//////बहुत सुन्दर

सुन्दर दोहे .. बधाई आदरणीय | सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
Tuesday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service