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राजनीति की शतरंज में

पैदल बिल्कुल सीधा चलता है

किंतु उसे केवल तिरछा मारने का अधिकार होता है

पैदल को रोकने के लिए उसके सामने एक पैदल लगा देना काफ़ी होता है

इसलिये पैदल संख्या में सबसे ज्यादा होते हुये भी

सबसे कमजोर मोहरा माना जाता है

 

कोई पैदल अगर बचते बचाते विपक्षी के घर में घुस जाय

और सारे राज जान ले

तो उसे फौरन मार दिया जाता है

या फिर वो जो बनना चाहे बना दिया जाता है

 

ऊँट बेचारा जो वास्तव में हमेशा सीधा चलता है

उसे तिरछा चलना और तिरछा मारना सिखा दिया जाता है

 

हाथी को सिखा दिया जाता है दाएँ बाएँ चलना

और जो भी रास्ते में आए उसे कुचल देना

 

राजनीति की शतरंज में

सबसे खतरनाक घोड़ा होता है

क्योंकि घोड़े को सिखाया जाता है कूद कूद कर मारना

इसके लिए घोड़े को दिया जाता है विशेषाधिकार

ढाई घर चलने का

 

विपक्षी वजीर जैसे ही कुछ करने की कोशिश करता है

घोड़े को बाहर निकाला जाता है

और बेचारा वजीर या तो डर के मारे वापस लौट जाता है

या चुपचाप जहाँ है वहीं पड़ा रहता है

 

राजनीति की शतरंज के मँझे हुए खिलाड़ी

घोड़े का सही इस्तेमाल करना जानते हैं

 

राजनीति की शतरंज में

राजा को बचाने के लिए सभी मोहरे बारी बारी अपना बलिदान देते हैं

लेकिन राजा कभी नहीं मरता

उसकी केवल मात होती है

और वो फिर से खेलने लगता है

अगली बार जीतने के लिए

-----------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment

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Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on February 1, 2014 at 7:46pm

बहुत बहुत धन्यवाद Dr.Prachi Singh जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on February 1, 2014 at 7:45pm

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय Saurabh Pandey जी। चेस तो पहले से ही जानता था। विचार अब जाके कौंधा। :)


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 10, 2014 at 10:03am

अच्छा चैस सिखाया है.... :))

राजनीति की शतरंज में

राजा को बचाने के लिए सभी मोहरे बारी बारी अपना बलिदान देते हैं

लेकिन राजा कभी नहीं मरता

उसकी केवल मात होती है

और वो फिर से खेलने लगता है

अगली बार जीतने के लिए,....  सही बात !

शुभकामनाएं 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 9, 2014 at 12:30am

:-)))
चेस सीखे इधर या जानते थे.. !!


राजनीति की शतरंज में
राजा को बचाने के लिए सभी मोहरे बारी बारी अपना बलिदान देते हैं
लेकिन राजा कभी नहीं मरता
उसकी केवल मात होती है
और वो फिर से खेलने लगता है
अगली बार जीतने के लिए

इन पंक्तियों में सारी की सारी कविता बसी है.. .
बहुत-बहुत बधाई ..

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on January 7, 2014 at 9:56pm

बहुत बहुत धन्यवाद शिज्जु जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 7, 2014 at 9:19pm

आदरणीय धर्मेन्द्रजी राजनीतिक शतरंज का बहुत बढ़िया वर्णन किया है आपने बहुत बहुत बधाई इस रचना के लिये

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on January 7, 2014 at 9:07pm

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी,  coontee mukerji साहिबा,  गिरिराज भंडारी जी, राज बुन्दॆली जी, S. C. Brahmachari जी, vandana जी, अरुन शर्मा 'अनन्त' जी,  बृजेश नीरज जी, Laxman Prasad Ladiwala जी एवं annapurna bajpai जी आप सबको ये रचना पसंद आई और आपने सबने ने मेरा हौसला बढ़ाया इसके लिए तह-ए-दिल से आप सबका शुक्रगुज़ार हूँ। स्नेह बनाए रखिएगा।

Comment by annapurna bajpai on January 5, 2014 at 8:23pm

अच्छी रचना बधाई आपको । 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on January 5, 2014 at 11:16am

 राजा कभी नहीं मरता

उसकी केवल मात होती है

और वो फिर से खेलने लगता है

अगली बार जीतने के लिए--------यही तो शतरंज की बिसात का असली खेल है व्यवहार में भी नेताओं की हार जीत में भी जनता ही पिसती है/हारती है/युद्ध में प्यादा ही मरता है | शिल्प में ढाल इसे सुन्दर कविता का रूप दिया जा सकता है भाई श्री धर्मेन्द्र जी | अच्छे भाव समाहित रचना के लिए हार्दिक बधाई 

Comment by बृजेश नीरज on January 4, 2014 at 11:42pm

वाह! बहुत सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई!

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