For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हां ठीक था, अर्जुन !

तुम अपने युयुत्सु परिजनों पर

शस्त्र न उठाते i

उन्हें अपने गांडीव की प्रत्यंचा

की सीध में न लाते i

तुम्हारा यह निर्णय ठीक होता या न होता

हां सभी मर जाते तो शवो पर कौन रोता ? 

किन्तु यह क्या---

तुम्हारे शरीरांग कांपे क्यों ?

वदन सूखा क्यों,  दशन चांपे क्यों ?

वेपथु क्यों हुआ, क्यों हुआ लोमहर्षण 

अभी तो शंख घोष था, नही था अस्त्र वर्षण 

तब भी तुम्हारे हाथ से गांडीव खिसका

तुम्हारी र्त्वेचा जली तो दोष  किसका  ?

तुम 'अवस्थानुम न शक्नोमि ' हो गए

तुम्हारा सिर चकराया, शून्य में खो गए

इतने सारे संचारी तुम्हारी पराजय लिखने लगे 

तुम्हे अपने ही भय से अमंगल दिखने लगे     

और भीष्म, द्रोण करते थे गर्व तुम पर 

तुम थे अपने युग के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर 

नहीं होता विश्वास 

जो हो कृष्ण का सखा खास 

वह इतना दुर्बल, इतना शक्तिहीन 

तुममे न आत्मबल न आशा नवीन

तो फिर यह युद्ध जीता किसने?

क्या तुमने नहीं, कृष्ण ने ?

 

 

 

मौलिक/अप्रकाशित

 

Views: 861

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 16, 2014 at 12:31pm

आदरणीय कनेरी जी

आपका शत -शत आभार  i

Comment by Maheshwari Kaneri on June 15, 2014 at 5:52pm

बहुत ही सुंदर रचना आदरणीय डा गोपाल नारायण जी बधाई

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 16, 2013 at 6:05pm

संजय मिश्र जी

आपको  बहुत बहुत धन्यवाद श्रीमन  i

Comment by Sanjay Mishra 'Habib' on December 16, 2013 at 5:31pm

कर्ता तो एक ही है जो सबसे कराता है अर्जुन से भी... वही जो सब कुछ कर के भी श्रेय माध्यम को दे जाता है...

बहुत ही सुंदर रचना आदरणीय डा गोपाल नारायण सर... सादर बधाई स्वीकारें...

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 10, 2013 at 11:46am

डॉ आशुतोश मिश्र जी \

आपके  प्यार को मै क्या नाम दूं  ?

आभारी हूँ श्रीमन i

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 10, 2013 at 11:37am

आदरणीय सर ..बहुत ही सारगर्भित रचना ....अर्जुन की बिचित मनः स्थिति ...मोह से ज्यादा मन की दुर्बलता ..सौभाग्य है उस दिन अर्जुन के साथ कृष्ण थे ,,,,जिन्होंने अर्जुन को संभाल लिया ....आज भी न जाने कितने अर्जुन हैं पर अब कृष्ण नहीं .,,पर कृष्ण का सन्देश है ..कृष्णा के माध्यम से महाभारत का युद्ध जीता गया इसमें संसय नहीं ...लेकिन कृष्ण के सन्देश से आज तमामों अर्जुन महाभारत में बिजय श्री हासिल कर रहे है ..उस दिन की अर्जुन की दुर्बलता से समाज को गीता रूपी जो सन्देश अनायास प्राप्त हो गया दुर्लभ है ..इस रचना पर तहे दिल बधाई ..सादर प्रणाम के साथ 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 7, 2013 at 9:13pm

अनंत जी

मेरे प्रिय  अनंत जी

आपका स्नेह मै सदैव अनुभव करता हूँ i

सादर i  

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 7, 2013 at 9:10pm

विजय मिश्र जी

आपका शत-शत आभार i

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 7, 2013 at 5:12pm

अत्यंत सारगर्भित रचना आदरणीय बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by विजय मिश्र on December 7, 2013 at 4:23pm
बाह्य युद्ध से पहले अर्जुन ने अपने अंतर में एक महाभारत लड़ी ,जिसका सखा -गुरु कृष्ण हो वह निर्द्वंद होना चाहता था | रही मानवीय पराक्रम की तो यह सदा ही ईश्वराश्रित है | यश-अपयश ...... | सारगर्भित रचना |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
22 minutes ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
1 hour ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
4 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
6 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
6 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
8 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
10 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान की परिभाषा कर्म - केंद्रित हो, वही उचित है। आदरणीय उस्मानी जी, बेहतर लघुकथा के लिए बधाइयाँ…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service