For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सूरज की तपिश,

चॅाद की शीतलता,

फूलों की महक,

शब्‍दों से खुशी,

शब्‍दो से रास्‍ते,

दिखाता एक कवि है,

शब्‍दो केा माले में पिरोता,

एक कवि है,

फिर भी गुमनामी की जिन्‍दगी

जीता कवि है।

गुमसुम उदास आखेां मे,

हसीन सपने दिखाता कवि है,

भागभाग की जिन्‍दगी में,

सकून के पल देता कवि है,

रोते हुए चेहरे को,

हॅसाता एक कवि है,

जिन्‍दगी से हारे को,

हौसला देता कवि है

फिर भी गुमनामी की जिन्‍दगी,

जीता एक कवि है । 

प्रेम की परिभाषा बताता कवि है,

दिल का दर्द,दिल की बाते,

बताता एक कवि है,

हर शख्‍स को आईना,

दिखता है एक कवि है,

फिर गुमनामी की

जिंन्‍दगी जीता एक कवि है।

चंद सिक्‍को का भूखा नहीं है,

सम्‍मान का मोहताज नहीं है,

कवि तो बस भूखा है ,

दशाहीन ,दिशाहीन समाज को,

दशा और दिशा देने का,

भटकते समाज केा सुधारने का

अखंड को हॅसाने का,

दुख दर्द के आज इस दौर में

दो पल आपको सूकून के देना का,

यह  सोचता एक कवि है,

फिर भी गुमनामी की जिन्‍दगी,

जीता एक---कवि है।

मौलिक एवं अप्रकाशित अखंड गहमरी

Views: 459

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 29, 2013 at 11:13am

रोते हुए चेहरे को,

हॅसाता एक कवि है,

जिन्‍दगी से हारे को,

हौसला देता कवि है

फिर भी गुमनामी की जिन्‍दगी,

जीता एक कवि है ।

बहुत ही सुंदर भाव, कवि के अंतर की भावनाओं को पूर्णत: स्पष्ट करती रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय अखंड जी

Comment by Sushil.Joshi on October 28, 2013 at 5:06am

एक कवि के अंतर्मन एवं उसकी भावना को सुंदर तरीके से सँजोया है आपने आ0 अखंड भाई जी...... बहुत बहुत बधाई

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on October 27, 2013 at 10:23pm

एक कवि की सोच... उसकी भावना..... उसका व्यवहार..... उसके सुख......उसके दुख.......उसकी मुश्किलें...... उसकी जद्दोजहद.....सब कुछ कह दिया आपने इस एक रचना में........बहुत ही सराहनीय.......!!!!

Comment by Atendra Kumar Singh "Ravi" on October 27, 2013 at 9:52pm

रोते हुए चेहरे को,

हॅसाता एक कवि है,

जिन्‍दगी से हारे को,

हौसला देता कवि है

फिर भी गुमनामी की जिन्‍दगी,

जीता एक कवि है ।

सही बात कही आपनें ...इतना कुछ होने के बाद भी एक कवी गुमनामीं कि ज़िन्दगी जीता है ...वैसे आपकी रचना को दिल से बधाई ..

Comment by Saarthi Baidyanath on October 27, 2013 at 4:13pm

बहुत बढ़िया ...कवि के रंगरेज चरित्र के सारे रंगों को समेटा है आपने ...वाह :)


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 27, 2013 at 3:39pm

आदरणीय अखंड भाई , कवि की आंतरिक भावनाओं को आपने बहुत अच्छे से बयान किया है !!!!! बधाई !!!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई आदरणीय रिचा जी बधाई स्वीकार करें"
25 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई आदरणीय मिथिलेश जी बधाई स्वीकारें"
26 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"इस ज़र्रा नवाज़ी का सहृदय शुक्रिया आदरणीय धामी सर"
30 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"इस ज़र्रा नवाज़ी का सहृदय शुक्रिया आदरणीय"
31 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आपके मंच के बेहद महान आदरणीय सदस्य सौरभ जी में ये अहं नहीं तो और क्या है_ 1  समर साहब से तीन…"
37 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए आभार। इंगित मिसरे पर…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई आजी तमाम जी , सुंदर गजल हुई है हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"बेहद दिलकश ग़ज़ल ! शानदार! ढेरो दाद।"
1 hour ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"//आपको फिलहाल कोई ऐसी किताब पढ़नी चाहिए जो आपका अहं कम कर सके//  आज़ी तमाम महोदय ! इस…"
1 hour ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"//उसकी तारीफ़ में जो कुछ भी ज़ुबां मेरी कहेउसको दरिया-ए-मुहब्बत की रवानी लिखना// वाह! नयापन है इस…"
2 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी ! अच्छी ग़ज़ल से मुशाइरा आरंभ किया आपने। बहुत बधाई! // यूँ वसीयत में तो बेटी…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हर कहानी को कई रूप रुहानी लिखना जाविया दे कहीं हर बात नूरानी लिखना मौलवी हो या वो मुल्ला कहीं…"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service