For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक~
*
नफ़रत जितनी उतना प्यार,

इन पर अपना क्या अधिकार,

एक बिंदु पर पड़ा ठहरना 

सरहद को करना मत पार !

दो~
*
ये कैसी इसकी रफ़्तार ,
बहुत प्यार धीमा है यार ,

सीमाएं कुछ उनकी हैं तो 

अपनी भी सीमा है यार !

तीन~
*
नफरत छोडो ,प्यार लुटाओ 

खुशियाँ और सनेह बाँट दो ,

दिखें अगर मजहबी दिवारें 

सीमाएं सब काट-छांट दो !

चार ~
*
ये आपकी नज़र है और मित्र दुआ है ,
आपकी दुआ से ही आकाश छुआ है,

जब गिरा कहीं मै कभी ठोकरें खाकर 

अनमोल प्यार आपका नसीब हुआ है !

पांच ~

*
लौट आया जो कल गया कोई ,
दांव क्या खूब चल गया कोई ,

दोस्ती अजनबी से की हमने 

चित्र फिर से बदल गया कोई !

________________प्रो.विश्वम्भर शुक्ल ,लखनऊ                   (मौलिक और अप्रकाशित रचना )


Views: 471

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on July 3, 2013 at 9:44pm

मुक्तक अच्छे लगे। बधाई।

सादर,

विजय निकोर

Comment by बृजेश नीरज on July 3, 2013 at 9:35pm

आपको इस रचना पर मेरी हार्दिक बधाई!
आपसे एक निवेदन करना चाह रहा था कि इस मंच पर दूसरे रचनाकारों को आपके मार्गदर्शन की आवश्यकता है इसलिए कुछ समय निकालकर उनकी रचनाओं पर अपना मार्गदर्शन अवश्य दिया करिए।
सादर!

Comment by Sumit Naithani on July 3, 2013 at 3:12pm

नफ़रत जितनी उतना प्यार,

इन पर अपना क्या अधिकार,

एक बिंदु पर पड़ा ठहरना 

सरहद को करना मत पार ! sunder panktiya

Comment by प्रो. विश्वम्भर शुक्ल on July 3, 2013 at 2:15pm

मित्र Laxman Prasad Ladiwala जी ,आपका हार्दिक आभार सराहना के लिए !

Comment by प्रो. विश्वम्भर शुक्ल on July 3, 2013 at 2:14pm

आभार आपका Dr.Prachi singh जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 3, 2013 at 8:55am

अपनत्व के विविध पहलुओं पर सुन्दर मुक्तक आदरणीय प्रो० विशम्भर शुक्ल जी 

तीसरे मुक्तक पर एक बार पुनः गौर कर लें. सादर.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 2, 2013 at 7:18pm

सभु मुक्तक सुन्दर और सार्थक है | हार्दिक बधाई श्री विशम्भर शुक्ल जी | सादर 

Comment by प्रो. विश्वम्भर शुक्ल on July 2, 2013 at 4:09pm

आपका बहुत बहुत आभार आपकी  सराहना से बल मिलता है सम्मान्य राजेश कुमारी जी !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 2, 2013 at 3:08pm

सभी मुक्तक एक से बढ़कर एक हैं आदरणीय आपको हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी ' मुसफ़िर' जी सादर अभिवादन अच्छी ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई स्वीकार…"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीया रिचा यादव जी सादर अभिवादन बेहतरीन ग़ज़ल हुई है वाह्ह्हह्ह्ह्ह! शैर दर शैर दाद हाज़िर है मतला…"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सादर अभिवादन उम्द: ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई शैर दर शैर स्वीकार करें!…"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी ' मुसफ़िर' जी सादर अभिवादन!आपका बहुत- बहुत धन्यवाद आपने वक़्त…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन।सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सादर नमस्कार आपका बहुत धन्यवाद आपने समय दिया ग़ज़ल तक आए और मेरा हौसला…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी, सादर आभार।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. रिचा जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
7 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी सहृदय शुक्रिया आदरणीय इस मंच के और अहम नियम से अवगत कराने के लिए"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर"
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service