For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इन्कलाब //कुशवाहा //

क्या है 

इन्कलाब 
नहीं जानता 
शायद आप जानते हों 
हिंदी उर्दू अरबी फारसी 
लब्ज तो नहीं 
पञ्च तत्व 
पञ्च इन्द्रियां 
पञ्च कर्म 
या 
मुर्दा कौमों की 
संजीवनी बूटी ?
बस इतना जानता हूँ 
हाथ नहीं  पंजा नही 
एक बंधी मुट्ठी 
आशाओं को समेटे हुए 
आसमान को भेदते हुए 
सीने में दफ्न 
एक आग 
एक ललक 
हद से गुजर जाने की 
सीना तान 
बुलंद आवाज 
मेहनतकश 
मजदूर और जवान 
इन्कलाब जिंदाबाद 
कहता है 
इसके अस्तित्व का 
एहसास होता है 
इन्कलाब 
कहीं खुदा तो नहीं 
जो सब देता है ?
---------------------------------------------
प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा 
३-५-२०१३ 
मौलिक/ अप्रकाशित 

Views: 565

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 2, 2013 at 2:02pm

आदरनीय अशोक जी 

सादर /सस्नेह 

प्रोत्साहन हेतु आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 2, 2013 at 1:59pm

प्रिय ब्रजेश जी 

सस्नेह आभार 

सादर 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 2, 2013 at 1:58pm

आदरणीया सीमा जी 

सादर अभिवादन 

अपने व्यस्त समय से क्षण देकर प्रोत्साहित किया . आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 2, 2013 at 1:56pm

प्रिय केवल प्रसाद जी 

सस्नेह आभार 

सादर 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 2, 2013 at 1:55pm

आदरणीया कुंती जी 

सादर 

प्रोत्साहन हेतु आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 2, 2013 at 1:54pm

आदरनीय मनोज जी 

सादर

रचना पसंद करने हेतु आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 2, 2013 at 1:53pm

आदरनीय श्याम नारायण वर्मा जी 

सादर 

स्नेह हेतु आभार 

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 5, 2013 at 2:45pm

आदरणीय प्रदीप जी सादर बहुत सुन्दर अतुकांत रचना सादर हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by बृजेश नीरज on May 5, 2013 at 12:06am

बहुत सुन्दर! बधाई स्वीकारें।

Comment by seema agrawal on May 4, 2013 at 11:34pm

बहुत विचारशील रचना ..........कुशवाहा जी ......हार्दिक बधाई......... छंदमुक्त रचनाओं में नए बिम्ब और नए प्रतीक ही रचना को रोचक बनाते  हैं जो आपकी इस कविता में मौजूद हैं 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो
"आ. समर सर,मिसरा बदल रहा हूँ ..इसे यूँ पढ़ें .तो राह-ए-रिहाई भी क्यूँ हू-ब-हू हो "
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो
"धन्यवाद आ. समर सर...ठीक कहा आपने .. हिन्दी शब्द की मात्राएँ गिनने में अक्सर चूक जाता…"
10 hours ago
Samar kabeer commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो
"जनाब नीलेश 'नूर' जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई, बधाई स्वीकार करें । 'भला राह मुक्ति की…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा पाण्डे जी, सार छंद आधारित सुंदर और चित्रोक्त गीत हेतु हार्दिक बधाई। आयोजन में आपकी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी,छन्नपकैया छंद वस्तुतः सार छंद का ही एक स्वरूप है और इसमे चित्रोक्त…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी, मेरी सारछंद प्रस्तुति आपको सार्थक, उद्देश्यपरक लगी, हृदय से आपका…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा पाण्डे जी, आपको मेरी प्रस्तुति पसन्द आई, आपका हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ।"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी उत्साहवर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार। "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप उत्तम छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service