For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्यूंकि तुम प्रेम हो और प्रेम मैं भी हूँ .......

मैं प्रेम हूँ 

तुम भी तो प्रेम ही हो 

प्रेम से हट कर 

क्या नाम दूँ 

तुम्हें भी और मुझे भी ...

कितनी सदियों से 

और जन्मो से भी 

हम साथ है 

जुड़े हुए एक-दूसरे के 

प्रेम में 

हर जन्म में तुमसे 

मिलना हुआ 

लेकिन मिल के भी मेल 

ना हो सका 

प्रेम फिर भी रहा 

तुम में और मुझ में भी 

चलते जा रहें है 

समानांतर रेखाओं की तरह 

साथ हो कर भी साथ नहीं 

दिखावे की है लेकिन ये 

समानांतर रेखाए 

प्रेम ने तो अब भी बांधा 

हुआ है 

तुम्हें  भी और मुझे  भी 

क्यूंकि तुम प्रेम हो और 

प्रेम मैं भी हूँ .......

( अप्रकाशित और मौलिक  )

Views: 701

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on March 6, 2013 at 1:47am

आदरणीया उपासना जी:

 

प्रेम की इतनी सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए बधाई।

 

विजय निकोर

 

Comment by asha pandey ojha on March 5, 2013 at 2:28pm

prem par ek sundar w gahree rachna ,, bahut sundar dear Upasana ji

Comment by DINESH PAREEK on March 4, 2013 at 12:23pm

बहुत खूब सुन्दर  लाजबाब अभिव्यक्ति।।।।।।

मेरी  नई  रचना  
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के  इंतजार में  

Comment by बृजेश नीरज on March 3, 2013 at 3:19pm

बहुत सुन्दर।

Comment by वेदिका on March 3, 2013 at 11:23am

संतुतित रूप में लाजबाब अभिव्यक्ति ! बधाई :)


सादर वेदिका 

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on March 1, 2013 at 10:49pm

वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह क्या बात है सुन्दर,,,,,,,,,,,बधाई,,,,,,,,,,,,

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on March 1, 2013 at 10:45pm

क्या बात है प्रेम पर बहुत सुन्दर रचना................बहुत बहुत बधाई स्वीकार कीजिये


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 1, 2013 at 10:20pm

प्रेम निर्बाध नदी के दो किनारों की तरह भी है जो दूर् होकर भी हमेशा नदी के साथ रहते हैं और अपनी परछाई की  तरह भी  जो हमारे साथ रहती है अपना ही दूसरा रुप है| प्रेम ही शक्ति प्रेम ही पूजा है ,बहुत सुंदर प्रस्तुति उपासना जी हार्दिक बधाई आपको| 

Comment by Abhinav Arun on March 1, 2013 at 10:19pm

आदरणीया उपासना जी , बहुत सरल शब्दों में गहन रचना . अनुभूति के धरातल पर सफल और पगी हुई . हार्दिक बधाई !!

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 1, 2013 at 10:03pm

सुन्दर आभिव्यक्ति के लिए बधाई, सही है हम सब एक दुसरे से प्रेम के डोर से ही बंधे होते है, सने रखते है 

प्रेम पर आपका द्रष्टिकोण सुंदर है बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"धन्यवाद आ. तिलकराज सर,आपकी विस्तृत टिप्पणी ने संबल मिला है.मैं स्वयं के अशआर को बहुत कड़ी परीक्षा से…"
10 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"धन्यवाद आ. लक्षमण धामी जी "
26 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"श्रद्धेय श्री तिलक राज कपूर जी, आप नाचीज़ की ग़ज़ल तक  पहुँचे, आपका अतिशय आभार, …"
28 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' ग़ज़ल तक आप आये और अपना बहुमूल्य समय दिया, आपका आभारी…"
44 minutes ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी बहुत- बहुत धन्यवाद आपका "
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय गुरमीत सिंह जी बहुत- बहुत धन्यवाद आपका छतरी की मात्रा गिराने हेतु आपकी चिंता ठीक…"
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय शिज्जु शकूर जी बहुत शुक्रिया आपका "
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"जी "
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार बहुत शुक्रगुज़ार हूँ आपका आपने वक़्त दिया मतला   "तुम्हारी…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"पगों  के  कंटकों  से  याद  आया सफर कब मंजिलों से याद आया।१। देखा जाये तो…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई शिज्जू शकूर जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। गिरह भी खूब हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उन्हें जो आँधियों से याद आया मुझे वो शोरिशों से याद आया याद तो उन्हें भी आया और शायर को भी लेकिन…"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service