For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राज़ नवादवी: एक अपरिचित कवि की कृतियाँ- ३७

मरना क्या है?

 

जब मेरे दादा मरे थे तो मैं बहुत छोटा था, मुझे मालूम न हो सका कि मरना क्या है 

कुछ अजीब सा माहौल था मगर फिर सब अच्छा लगा 

घर में भोज हुआ और खाने पीने को अच्छा मिला.

 

जब मेरे चाचा मरे तो मैं कुछ बड़ा हो चुका था, माहौल ग़मगीन था, लोग रो रहे थे, सन्नाटा था 

मगर फिर सब अच्छा लगा 

घर में भोज हुआ और खाने पीने को अच्छा मिला.

 

जब मेरे पिता मरे तो पहली बार दुःख हुआ, लगा मरना कितना दुखदाई है जो जीवित रह गए हैं उनके लिए

मगर फिर किसी का कहा याद आया-दुःख का कारण मरना नहीं, अपनों का मरना है,

वरना हर दिन कितने लोग मर जाते हैं और हम 

बेखबर जी रहे होतें हैं अपनी दुनिया में.

 

और कुछ सालों बाद जब मैं मरा तो

सहसा मुझे पता भी नहीं चला कि मैं मर चुका हूँ 

सब कुछ वही था, घर, लोग, रास्ते, मगर मैं कितना हल्का हो गया था हवा की तरह 

और आर-पार समां रहा था दरो-दीवार में एक लेज़र किरण की तरह.

मुझे कुछ शक हुआ और फिर अचानक मैंने अपने शरीर को बिस्तर पर पड़ा पाया 

जिसके इर्द-गिर्द इकट्ठे थे कुछ लोग

यह परदेस था जहाँ मैं रहा था कुछ साल और आज अचानक जहाँ मैं मर गया था

मुझे तब पता लगा मैं मर चुका हूँ और फिर मुझे याद आई बहुत दिनों पहले देखी इक अंग्रेजी फिल्म 'द घोस्ट'.

.

मैं सकते में था अकेला था, मुझे मेरी बेटियाँ याद आयीं और याद आये

मेरी पत्नी और मेरे पालतू कुत्ते बौब्बी, निन्नी, और ओबामा

मैं क्षण भर में मीलों दूर अपने घर पहुँच चुका जहाँ थी  

मेरी बेटी साशा, मेरी छोटी बेटी नाना, और मेरी पत्नी जो कुत्तों को खाना खिला रही थी

'अरे मैं यहाँ हूँ, मुझे देखो, साशा-नाना, मेरी बात तो सुनो बेटा, बिन्नी, तुम कुत्तों को प्यार से खिलाओ ना'

मैं सब को सब कुछ देख रहा था कह रहा था, मगर मुझे कोई नहीं 

अजीब था ये होने और न होने का भाव

और उससे भी अजीब अभिव्यक्ति और संचार का इकतरफा बर्ताव.

 

मैं दुःख और एकाकीपन की पराकाष्ठा पे था और बिलख-बिलख के रो रहा था 

पर अब बहने को आंसू नहीं थे और सुनने को सिसकियाँ नहीं

सब कुछ अन्दर ही अन्दर टूट रहा था

मैं मर चुका था और आज पहली बार पता लगा था 

मरना क्या है!!!!!

 

© राज़ नवादवी

टेक्नोपैक कोलकाता गेस्ट हाउस, १०/०८/२०११  

 

Views: 478

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राज़ नवादवी on September 21, 2012 at 12:50am

प्रमेन्द्र जी, मौत का तोहफा लिए ज़िंदगी घूमती है, छुपाके रखती है और सबसे आखिर में हमें नवाज़ती है. अच्छा खेल है! और हम सबों ने कई कई बार खेला है! 

Comment by राज़ नवादवी on September 21, 2012 at 12:48am

सीमाजी, आपका भी शुक्रिया कि आपने पढ़ा और पसंद फरमाया.

Comment by seema agrawal on September 20, 2012 at 11:52pm

वाह क्या अभिव्यक्ति है मरने के इस अहसास को यदि लोग जीते जी समझ सकें तो शायद आँसू की हर बूँद कीमती हो जाये ,नज़रंदाज़ होने की पीड़ा मरने से कम नहीं होती ...दिल को छू  लिया आपके शब्दों ने और कथ्य ने ......शुक्रिया 

Comment by प्रमेन्द्र डाबरे on September 20, 2012 at 11:39pm

आप नहीं मर सकते..

Comment by राज़ नवादवी on July 17, 2012 at 3:24pm

शुक्रिया आदरणीया रेखाजी. ज़रूर पढ़ा होगा आपने. मरने का विषय ज़िंदगी से बहुत करीब से जुड़ा जो है. साभार! 

Comment by राज़ नवादवी on July 17, 2012 at 3:22pm

शुक्रिया आदरणीया प्राची जी!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 13, 2012 at 2:41pm
मरने के बाद भी दिल अटका है... पत्नी बेटी और कुत्तों में...
सुन्दर अभिव्यक्ति आ. राज नवादवी जी
Comment by Rekha Joshi on July 13, 2012 at 12:35pm

राज़ जी ,मै आपसे पूर्णतया सहमत हूँ मौत के बाद भी जिंदगी है ,वैसे मैने भी इस बारे में पढ़ा है ,बहुत गंभीर विषय है ,आभार  

Comment by राज़ नवादवी on July 13, 2012 at 12:36am

आदरणीया रेखाजी, धन्यवाद. मरने के बाद के जीवन का बहुत मुताला किया है. संतों और फकीरों को भी पढ़ा. सच मानिए, मरने के बाद जीवन बरकारार ही रहता है अगरचे नौईयत बदल जाती है. हर जानदार ने मौत का स्वाद न जाने कितनी बार चखा है.  

Comment by Rekha Joshi on July 10, 2012 at 1:23pm

आदरणीय राज़ जी ,मौत एक शाश्वत सत्य ,आपकी कहानी की तरह मैने डिस्कवरी चैनल पर बहुत पहले  एक प्रोग्राम अल्ट्रा साइंस देखा था उसमे रूस की एक सच्ची घटना के बारे में बताया था ,मरने के बाद एक साइंटिस्ट अपने घर पहुंचता और अपने बीबी बच्चों के पास आताहै और उनके दुःख दर्द को समझता है ,लेकिन दो दिन बाद मुर्दा घर में उसे होश आ गया और उसने सब को आप बीती सुनाई,वैसे मालूम नही मरने के बाद क्या होता है ,यह तो मरने के बाद ही पता चले गा ,अच्छी प्रस्तुति,बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"दफ़'अ दफ़ २ 'अ १ दफ़ का उच्चारण एक साथ २ और 'अ (ऐन) १ को अलग से उच्चारित किया जाता…"
15 minutes ago
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"बहुत शुक्रिय: भाई मिथिलेश वामनकर जी ।"
33 minutes ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"जनाब दयाराम मेठानी जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है लेकिन ग़ज़ल अभी समय चाहती है । अमित…"
37 minutes ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आयोजन में सहभागिता के लिए आपका धन्यवाद ।"
44 minutes ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।"
45 minutes ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"जनाब दिनेश कुमार जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है,बधाई स्वीकार करें । अमित जी के…"
50 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"सादर प्रणाम 🙏गुरु जी सहृदय शुक्रिया आ गुरु जी ग़ज़ल तक आने व हौसला अफ़ज़ाई के लिए  अगर ये पता…"
1 hour ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"जनाब ज़ैफ़ जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई स्वीकार करें । तीसरा शे'र बहुत कमज़ोर…"
1 hour ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।"
1 hour ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"///तंग" के मात्रा पतन में मुझे भी संशय है// इस शब्द में मात्रा पतन नहीं है बल्कि लुग़त के हिसाब…"
1 hour ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"जनाब अमीर जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई स्वीकार करें । 'उकता गये जहान की…"
1 hour ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"जनाब संजय शुक्ल जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें । दूसरे शे'र…"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service